पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) कोरोना के चलते आम नागरिकों के अंतिम संस्कार में 20-25 लोगों को ही जाने की इजाजत है। लेकिन एक गुंडे की शवयात्रा में सैकडों की भीड,125 मोटरसाइकिल का शामिल होने आखिर क्या दर्शाता है? गुंडों के लिए अलग कानून और आम जनता के लिए कोरोना की अलग गाइडलाइन है? ऐसा सवाल पुणे की जनता पुलिस से पुछ रही है।
पुलिस की नाक के नीचे अंतिम संस्कार के जुलूस में 100 से 125 दोपहिया वाहनों की रैली भी हुई। अंतत: सहकारनगर पुलिस ने 200 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। सिद्धार्थ पलांगे,कुणाल चव्हाण,सुनील खटपे,अमित खटपे,सौरभ भगत,राजकुमार परदेशी,ऋषिकेश भगत,गणेश फाल्के और उनके साथियों पर कोरोना नियमों के उल्लंघन और कर्फ्यू का आरोप लगाया गया था। इस संबंध में पुलिस उपनिरीक्षक हरिश्चंद्र केंजले ने शिकायत दर्ज कराई है।
पुलिस के अनुसार धनकवाड़ी के कुख्यात अपराधी माधव हनुमंत वाघटे की शुक्रवार आधी रात करीब बिबवेवाड़ी में ओटा योजना क्षेत्र में 10 लोगों की भीड़ ने हत्या कर दी। वाघटे का अंतिम संस्कार शनिवार दोपहर 12.30 बजे कटराज कब्रिस्तान में किया जाना था। उस समय 100 से 125 दोपहिया वाहनों पर उनके अंतिम संस्कार में वाघटे के 200 से अधिक साथी शामिल हुए थे। भीड़ ने बालाजीनगर से धनकवाड़ी और वहां से कटराज कब्रिस्तान तक दोपहिया रैली निकालकर शांति भंग की। इस बीच हमेशा की तरह पुलिस द्वारा तमाम घटनाओं के बाद वीडियो वायरल होने के बाद सहकारनगर पुलिस ने 200 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया।
उसके बाद अब संबंधित सीसीटीवी साधारण नागरिकों को दाह संस्कार और विवाह समारोह के लिए 20-25 लोगों की अनुमति है। हालांकि, 100 से 125 दोपहिया वाहनों की रैली में एक गुंडे का अंतिम संस्कार होता है, जिसमें 200 से ज्यादा लोग शामिल होते हैं। इसके बावजूद पुलिस की ओर से इन्हें रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। क्या कोरोना काल में शहर की शांति भंग करने,अवैध रूप से इकट्ठा होने,आतंक पैदा करने के लिए गुंडों को विशेष रियायत है? ऐसा आक्रोशित सवाल नागरिकों द्वारा उठाया जा रहा है।