पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे जिले के पिंपरी चिंचवड मेट्रो शहर आज अपना 38 वाँ वसंत बहार मना रहा है। पिंपरी चिंचवड शहर अगर 50 साल की दहलीज को पार किया तो मनपा ने 38 साल की उम्र को पार किया है। ग्रामपंचायत से शुरु सफर मेट्रो शहर तक आ पहुंचा। सुंदर मनमोहक दुर्गा टेकडी उद्यान शहर का मुकुट है तो बडे बडे रास्ते,फ्लाई ओवर शहर की धडकन है। पिंपरी चिंचवड शहर एशिया खंड की सबसे अमीर महानगरपालिका पद से सुशोभित हो चुकी है। सुंदर शहर,स्वच्छ शहरों की स्पर्धा में कई आवार्ड विजेता रही।
” विश्व श्रीराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालबाबू गुप्ता ने पिंपरी चिंचवड मनपा के 38 वें वसंत बहार के पर्व पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ग्रामपंचायत…नगरपरिषद से महानगरपालिका तक का सफर गतिमान रहा,विकासशील रहा,विश्व विख्यात रहा। सर्व सम्पन्न सुख सुविधाओं को अपने आंचल में समेटे शहर के नागरिक खूब तरक्की करें,फले फूले,आपसी भाईचारा,प्रेम मोहब्त से रहें यही हमारी शुभकामनाएं।”
लेकिन पिछले चार सालों के सफर को देखा जाए तो शहर विकास से मानो 5 साल पीछे चला गया हो। इन चार सालों में मनपा के दामन में कई दाग और घाव लगे। नदी सुधार प्रकल्प,भोसरी हॉस्पिटल का निजिकरण,जिजामाता हॉस्पिटल की नई इमारत का भ्रष्टाचार,कचरा ठेका में भ्रष्टाचार,स्मार्ट सिटी का ठंडा काम,निगडी फ्लाई ओवर ब्रिज का काम केंचूले की चाल रेंगना,कोरोना महामारी को कंट्रोल करने में फेल,24 घंटे स्वच्छ पानी देने में नाकाम,वायसीएम डॉक्टर भर्ती में रिश्वतखोरी ऐसे तमाम दाग मनपा के दामन में लगे। पिछले 4 सालों में मनपा में बैठी सत्ताधारी डंके की चोट पर एक ऐसा बडा काम नहीं गिना सकती जिसको पूरा किया हो। भाजपाई चार साल केवल फूगे में हवा भरने का काम किए। खोदने पर केवल चूहा निकला है। स्वच्छता अभियान स्पर्धा में हमारा शहर अन्य शहरों के मुकाबले आखिरी पायदान पर पहुंच चुका है। इसका जवाब सत्ताधारियों से पूछने पर बगली झांकने लगते है। इस शहर ने भाजपा को दो विधायक दिए। मनपा में दोनों की तूती बोलती है। लेकिन प्रशासन पर पकड नहीं है। विधायकों को पत्र लिखना पडता है कि आयुक्त उनके सुझाए विकास कामों की ओर अनदेखी करते है। यह भी सत्ताधारियों का फेलियर ही कहा जाएगा। ब्यूरेक्रेसी किसी एक खूंटे से कभी भी बंधकर नहीं रहती। मौसम की तरह रंग बदलती है। चरण वंदना उनका हथियार होता है। नगरसेवकों के पास कोई अधिकार नहीं। गांधी के तीन बंदर की भूमिका में रहने पर मजबुर है। नाराजगी पनप रही है,राष्ट्रवादी के संपर्क में है।
अगर राष्ट्रवादी के 15 साल की सत्ता में विकास कामों की बात करें तो ट्रॉफिक जाम से निजात दिलाने के लिए ग्रेटसेपरेटर,60 फूट वाले बडे रास्ते,शहर के चारों तरफ फ्लाई ओवर ब्रिज…नासिक फाटा में जेआरडी टाटा फ्लाई ओवर,कालेवाडी फाटा में छत्रपति शिवाजी महाराज फ्लाई ओवर ब्रिज,भोसरी में फ्लाई ओवर ब्रिज,बीआरटी, रावेत में पुल,18 नए गांवों को जोडने के लिए चौडा सुशोभित रास्ते,ग्रीन सिटी,दुर्गा टेकडी,अप्पूघर,मेट्रो की मंजूरी जैसे बडे काम राष्ट्रवादी के कार्यकाल में हुआ। इसको कोई झूठला नहीं सकता। लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस कोई दूध की धूली नहीं है। हम उनको क्लिन चिट दे रहे ऐसा भी नहीं। भ्रष्टाचार की गंगोत्री इनकी ही जटा से बहती है। मोदी लहर में इनकी दो धाराएं भाजपा की पवित्र गंगा में समाहित हुई और भाजपा भी अपने आपको अपवित्र होने से बचा नहीं सकी। मनपा भवन सबके इतिहास भूगोल का साक्षी है। इन 38 सालों में सबकी दास्तान,कारनामों,कालेचिट्टे को अपने सीने में दफन कर रखा है। मनपा भवन इस बात का भी गवाह है कि किस तरह दूधारु गाय को समय समय पर दूध निकाला गया। जिस तरह भारत सोने की चिडिया कहलाता था उसी तरह मनपा एशिया खंड की अमीर मनपाओं में से एक रही उसे किन किन हाथों ने नोंच खाया। अगर शहर के विकास का कोई शिल्पकार है तो वो यहां कि टैक्सदाता जनता है,उद्योगपति है,एमआयडीसी,व्यापारी है। जिन्होंने अपनी गाढी कमाई के टैक्स को मनपा की तिजोरी में जमा किए और मनपा को अमीर मनपा का ताज पहनाने में मददगार बने।
शहर का नाम विश्वभर में लौकिक करने का काम शिक्षा संस्थानों ने भी किया। डीवाय पाटिल,एमआयटी,इंदिरा जैसे कालेज शहर की शान है। विकास की रफ्तार में बिल्डर लॉबी भी खूब योगदान दिए और फले फूले। गगन चूमती इमारतें शहर को मुंबई जैसे महानगरों की बराबरी में लाकर खडा किया। यहां के किसानों,मूल जमीन मालिकों का भी बडा योगदान रहा अगर वो अपनी जमीनें विकास कामों के लिए नहीं देते तो शहर का काया पलटना संभव नहीं था। इसलिए यहां के धरती पूत्रों को शहर के विकास के असली शिल्पकार कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा। बडे बडे मॉल,बाजारपेठ,मलटिस्टार सिनेमा घर पिंपरी चिंचवड शहर के गले के मोतियों की माला के मूंगे बने। शहर अपने चारों तरफ धार्मिक,संस्कृति,पवना-इंद्रायणी नदियों के संगम का चादर ओढकर धर्म और कर्म दोनों का पाठ पढाने का काम किया। चिंचवड में साधू मोरया गोसावी की समाधि मंदिर है तो देहूगांव में संत तुकाराम महाराज की समाधि मंदिर और आलंदी में संत ज्ञानेश्वर की ज्ञानपीठ से ज्ञान की धारा बहती है। सिंगापुर की तर्ज पर शहर सफारी पार्क की ओर अग्रसर है। लेकिन अंत में कहना पड रहा है कि इस शहर को न जाने किसकी नजर लग गई जिसका विकास का पहिया रुक सा गया है,थम सा गया है।