पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज)पिंपरी चिंचवड महानगपालिका की कल संपन्न महासभा में शहर में लावारिस कूत्तों,शूअर और घूमक्कड जानवरों पर 1 घंटा महाचर्चा हुई। चर्चा काफी रोमांचक,मजेदार भरी रही। नगरसेवकों ने महापौर और आयुक्त से गुहार लगाई कि हमें कुत्तों और शूअर के आतंक से बचाओ। पशुवैद्यकीय विभाग के अधिकारी डॉ.दगडे पर नगरसेवकों ने खूब शब्दों के बाण चलाए। दगडे फोन नहीं उठाते,दगडे नहीं ये तो दगड है। इसे घर बैठाओ अथवा शासन दरबार में वापस भेजो। महापौर,उपमहापौर के प्रभाग में ज्यादा कुत्तों का आतंक है। महापौर सुरक्षित नहीं तो आम जनता कैसे सुरक्षित हो सकती है?
भाजपा की वरिष्ठ नगरसेविका ने कुत्तों की बढती जनसंख्या पर सवाल उठाते हुई कही कि अगर कुत्तों की नसबंदी की जाती है तो बच्चे कैसे पैदा होते है? इतना बुरा वक्त आ गया है कि आज हमें कुत्तों पर चर्चा करनी पड रही है। दगडे फोन नहीं उठाते। शूअर पकडने में ज्यादा दिलचस्पी है लेकिन शहर में जो कुत्तों का आतंक है उन्हें नहीं पकडते,ऐसा क्यों? रात के समय बीच सडक पर कुत्ते जाम लगाकर बैठे रहते है। पैदल,वाहन चालकों को भय से मार्ग बदलने पर मजबुर होना पडता है। मनसे के सचिन चिखले ने कहा कि पशु वैद्यकीय विभाग को कुत्ते पकडने से ज्यादा कुत्तों के निवास के लिए 5 एकड जमीन खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी है। नगरसेवक संदीप वाघेरे ने कुत्तों को रखने के लिए शहर से बाहर की संस्थाओं से बातचीत करायी है। साथ ही हर संभव मदद कर रहे है। वाघेरे के कामों की प्रशंसा महासभा में नगरसेवकों ने की। सत्तारुढ नेता नामदेव ढाके ने भी पशुवैद्यकीय विभाग की बघिया उधेडते हुए गरजे। कुत्तों के आतंक से नागरिक भयभीत है। इस दिशा में ठोस कार्रवाई करने की जरुरत है। राहुल कलाटे,सीमा सावले समेत अनेक सदस्य महाचर्चा में हिस्सा लिया।
पशुवैद्यकीय विभाग की ओर से बताया गया कि अब तक 2500 कुत्तों की नसबंदी एक महिना में की गई है। 1200 कुत्तों की नसबंदी आने वाले दिनों में करने का टारगेट है। पशुप्रेमी,डॉग प्रेमी की आपत्ति के कारण कार्रवाई में बाधाएं आ रही है। एक डॉग प्रेमी अपने डॉग का जन्मदिन मनाने के लिए अनुमति मांगी। जिसमें 100 गुब्बारे,100-150 लोगों का भोजन का कार्यक्रम रखा। ऐसी परिस्थति में कार्रवाई कैसे संभव है?पिछले साल शूअर टेंडरिंग और कार्रवाई के मामले में कार्यालय में घुसकर जानलेवा हमले को भूलाया नहीं जा सकता। पालतू जानवरों के बारे में कार्रवाई,दंड लगाने के बारे में भी सदस्यों ने मांग उठाई।
आपको बताते चलें कि शहर में इन दिनों कुत्तों का जबर्दस्त आतंक है। रात के समय अक्सर सडकों पर गिरोह बनाकर कुत्ते बैठे पाए जाते है। कई बार राहगीरों पर हमला हो चुका है और बुरी तरह जख्मी होने की शिकायत मिल चुकी है। अगर कुत्तों को पकडा जाता है और नसबंदी की जाती है तो इतने कुत्ते और बच्चे कैसे दिखाई देते है। एक कुत्ते को पकडकर नसबंदी तक करीबन 700 रुपये का खर्च का भार पालिका की तिजोरी पर पड रहा है। क्या हम यह समझे कि कुत्तों को पकडने का दिखावा होता है फिर छोड दिया जाता है। खर्च को पालिका तिजोरी से वसूलने का धंधा चल रहा है? हर साल करोडों रुपये का टेंडर निकलता है। पशुवैद्यकीय विभाग का मानना है कि जब वो पकडने के लिए जाते है तो लोकल नागरिकों का भारी विरोध देखने को मिलता है। जिसके कारण पथक को बैरंग चिट्ठी की तरह वापस लौटना पडता है।