उल्हासनगर नगर निगम के एक हजार साल पुराने प्राचीन शिव मंदिर के पास 200 मीटर की दूरी पर उल्हासनगर और अंबरनाथ के बीच। एक प्लॉट है लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने उस प्लॉट को मुस्लिम श्मशान भूमि के लिए आरक्षित कर दिया है। और उस प्लॉट पर दीवार कंपाउंड बनाने का काम चल रहा है। उसी के विरोध में महानगर पालिका पर धरना मार्च निकाला गया।
:कुछ हिंदू द्वेषियों की मदद से इस भूखंड पर मुस्लिम कब्रिस्तान के लिए सहमति दी गई है।इस भूखंड पर हिंदू समुदाय का गणेश विसर्जन घाट है।
वालधुनी नदी भुखंड से शून्य मीटर की दूरी पर है। और पास ही उल्हासनगर शहर का प्रवेश द्वार है।
शिव मंदिर में काफी संख्या में भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। आंदोलनकारी ने आगे कहा कि श्रावण मास में 30 दिनों तक भजन कीर्तन के लिए कोई न कोई महापुरुष और बड़े संत आते हैं।
महाशिवरात्रि के अवसर पर वहां 7/8 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं यह महाराष्ट्र की सबसे बड़ी यात्राओं में से एक होती है।
पुराने अंबरनाथ गांव के निवासियों ने आजू बाजू क्षेत्र में मंदिर के पुजारी* और पूरे हिंदू समुदाय की ओर से श्मशान घाट का विरोध किया है।
लेकिन प्रशासन ने हमारी बात सुने बिना ही प्लॉट पर चारो ओर दीवारी बनाने का काम शुरू कर दिया है