नई दिल्ली| व्हीएसआरएस न्यूज : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दूसरे लहर कि धीमी रफ्तार के बाद अब डेल्टा वैरिएंट दुनिया को परेशान कर रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि डेल्टा वैरिएंट का एक नया स्वरूप, जिसे डेल्टा प्लस कहा जा रहा है, देश में सामने आया है और यह मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी को अप्रभावी कर रहा है।
हालांकि, मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह वैरिएंट अभी चिंताजनक नहीं है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पाल ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वैरिएंट का नया स्वरूप डेल्टा प्लस सामने आया है और यह यूरोप में मार्च महीने से है। 13 जून को ही इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक हुई।
चिंता वाला स्वरूप वह होता है जिसमें हमें पता चले कि इसके प्रसार में बढ़ोतरी से मानवता के लिए प्रतिकूल प्रभाव होते हैं। डेल्टा प्लस स्वरूप के बारे में अब तक ऐसा कुछ ज्ञात नहीं है। इसके प्रभाव और बदलाव के बारे में इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक कंसोर्टियम यानी आइएनएसएसीओजी प्रणाली के माध्यम से नजर रखी जा रही है।
कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट दुनिया को परेशान कर रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि डेल्टा वैरिएंट का एक नया स्वरूप, जिसे डेल्टा प्लस कहा जा रहा है, देश में सामने आया है और यह मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी को निष्प्रभावी कर रहा है।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह वैरिएंट अभी चिंताजनक नहीं है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पाल ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वैरिएंट का नया स्वरूप डेल्टा प्लस सामने आया है और यह यूरोप में मार्च महीने से है। 13 जून को ही इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक हुई।
चिंता वाला स्वरूप वह होता है जिसमें हमें पता चले कि इसके प्रसार में बढ़ोतरी से मानवता के लिए प्रतिकूल प्रभाव होते हैं। डेल्टा प्लस स्वरूप के बारे में अब तक ऐसा कुछ ज्ञात नहीं है। इसके प्रभाव और बदलाव के बारे में इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक कंसोर्टियम यानी आइएनएसएसीओजी प्रणाली के माध्यम से नजर रखी जा रही है।
क्या होता है मोनोक्लोनल एंडीबॉडी थेरेपी
कोरोना संक्रमण के इलाज में इन दिनों मोनोक्लोनल एंडीबॉडी ट्रीटमेंट या थेरेपी की खूब चर्चा हो रही है। मोनोक्लोनल एंटीबाडी थेरेपी में एक ऐसी दवा का इस्तेमाल किया जाता है जो संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर में प्राकृतिक रूप से बनी एंटीबाडी की नकल करती है।
नोवावैक्स वैक्सीन के नतीजे उत्साहजनक
आपको बताते चले कि नोवावैक्स टीके के संदर्भ में पाल ने कहा कि इसके प्रभाव संबंधी आंकड़े उत्साहजनक हैं और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़े भी संकेत देते हैं कि यह सुरक्षित और अत्यंत प्रभावी है। उन्होंने कहा, ‘आज भारत के लिए इस टीके की प्रासंगिकता यह है कि इसका उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया करेगा।’ उन्होंने उम्मीद जताई की सीरम इंस्टीट्यूट इसका बच्चों पर भी परीक्षण शुरू करेगा।