पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के हाथों उद्घाटित टीकाकरण केंद्र दूसरे दिन बंद हो गया। कारण वैक्सीन का अभाव था। मिली जानकारी के अनुसार उद्घाटन तो हुआ लेकिन वैक्सीन न मिलने के कारण केंद्र को बंद कर दिया गया। कई वरिष्ठ नागरिक निराश होकर घर लौट आए। दरअसल एक तरफ मरीजों की बढ़ती संख्या और दूसरी तरफ अपर्याप्त टीकाकरण ने राज्य में जानलेवा कोरोनरी संक्रमण के खतरे को बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि जून में बड़ी संख्या में टीके उपलब्ध होंगे। इसलिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि टीकाकरण का लाभ कब मिलता है?
वैक्सीन टीका लगाना सरकार की प्राथमिकता है। जल्द टीका लगाने से कोरोना संक्रमित और उससे होने वाली मौतों को काफी हद तक रोका जा सकता है। लेकिन उद्घाटित केंद्र अगर बंद हो जाएंगे तो टीकाकरण अभियान के प्रयासों को धक्का लगेगा। नागरिकों की परेशानी बढती है। वैक्सीन की कमतरता के आगे जिला प्रशासन भी नतमस्तक है यह किसी से छुपा नहीं। लेकिन आश्चर्य तब होता है कि जिस केंद्र का उद्घाटन राज्य के उपमुख्यमंत्री करते है वह केंद्र दूसरे दिन बंद हो जाता है।
इस बीच कोरोना की अब तक की दो लहरों में अप्रैल में संक्रमण के सबसे अधिक प्रकोप के बाद मई में कोरोना मामलों की संख्या नियंत्रण में आ गई है। इस महीने 50,000 से ज्यादा मरीज कोरोनावायरस से संक्रमित हुए थे। हालांकि कर-मुक्त नागरिकों की संख्या में वृद्धि के कारण पुणे में सक्रिय रोगियों की संख्या घटकर 6,000 हो गई है। शहर में फरवरी के मध्य से ही कोरोना का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा था। मार्च में एक और वृद्धि के कारण रात के लॉकडाउन सहित कई अन्य प्रतिबंध लगाए गए।
अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर शहर में सबसे तीव्र थी। नतीजतन इस एक महीने में 1.5 लाख लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हुए। इसकी तुलना में कोरोनरी हृदय रोग से ठीक होने वाले रोगियों की संख्या कम है नतीजा यह रहा कि अप्रैल के तीसरे सप्ताह में शहर में सक्रिय मरीजों की संख्या 56 हजार पहुंच गई। इसके बाद अप्रैल के अंत में और पूरे मई में मुक्त रोगियों की संख्या दैनिक कोरोनरी धमनी रोग से अधिक रही। पिछले आठ से दस दिनों में रोजाना कोरोना मरीजों की संख्या एक हजार से भी कम हो गई है।