पुणे (व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे के पालकमंत्री अजीत पवार ने जिला प्रशासन को औद्योगिक उपयोग के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति को कुछ हद तक सुव्यवस्थित करने का निर्देश दिया है। ऑक्सीजन की कमी के कारण उद्योग वेंटिलेटर पर पहुंच गया। अगले दो दिनों में औपचारिक फैसला होने की उम्मीद है। कोरोना की स्थिति को देखते हुए उद्योग में उत्पादित ऑक्सीजन को राज्य सरकार ने जब्त कर लिया है। वह ऑक्सीजन अस्पतालों को दी जा रही है। जब कोरोना मरीजों की संख्या ज्यादा थी तो पुणे विभाग में रोजाना 417 मीट्रिक टन तक ऑक्सीजन उपलब्ध करा रहा था। लेकिन अब मांग में गिरावट को देखते हुए जिला प्रशासन ने दूसरे राज्यों और जिलों से ऑक्सीजन का आयात बंद कर दिया है। पुणे क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है।
चिकित्सा क्षेत्र में मांग घटकर लगभग 195 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो गई है। इसलिए उद्योगों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की मांग जोर पकड़ रही है। करीब 50 फीसदी मौजूदा उद्योग ऑक्सीजन की कमी के कारण बंद हो गए हैं। इंजीनियरिंग और ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी ऑक्सीजन की जरूरत है। पिंपरी-चिंचवड़ में भी करीब 50 फीसदी कंपनियां बंद हो गई हैं। नतीजतन,औद्योगिक क्षेत्र संकट में है। इसी पृष्ठभूमि में शुक्रवार (28 मई) को कोरोना की समीक्षा बैठक हुई। बैठक में ऑक्सीजन की कमी के कारण उद्योग को संकट से उभारने के मुद्दे पर चर्चा की गई। उस समय उद्योग को ऑक्सीजन की आपूर्ति अभी शुरू होनी चाहिए,उद्योग के अधिकारियों ने ऐसा प्रस्ताव रखा।
अधिकारियों ने बताया कि उस समय चिकित्सा क्षेत्र की मांग घटकर 195 मीट्रिक टन रह गई थी। इस पर अजीत पवार ने कहा कि ऑक्सीजन की आपूर्ति को चरणों में सुव्यवस्थित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पहले चरण में प्रतिदिन उत्पादित ऑक्सीजन का 10 से 20 प्रतिशत उद्योगों को आपूर्ति की जा सकेगी इस संबंध में विभागीय आयुक्त सौरभ राव ने कहा कि चिकित्सा उद्योग अब 50 से 60 टन प्रतिदिन ऑक्सीजन की आपूर्ति करने लगे है। जो उद्योग आवश्यक सेवाओं में नहीं हैं,जिन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता है,उन्हें ऑक्सीजन कैसे प्रदान की जाए,इस पर एक लचीली नीति तैयार की जा रही है। इसलिए इस संबंध में निर्णय की घोषणा अगले कुछ दिनों में की जाएगी। हालांकि इसकी घोषणा राज्य सरकार के स्तर पर की जाएगी।