Pune पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) भारतीय रेलवे ने पर्यावरण समेत मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिहाज से अहम कदम उठाए हैं,जिसके तहत ट्रेनों में बायो-टॉयलेट मुहैया कराया जा रहा है। मध्य रेलवे ने अपने सभी ट्रेनों के डिब्बों में बायो-टॉयलेट लगाने की पहल की है। फिलहाल देश भर में ट्रेनों में ढाई लाख से ज्यादा बायो-टॉयलेट लगाए जा चुके हैं। ट्रेनों में शौचालयों का सरल डिजाइन रेलवे पर मानव मल के संचय का कारण बन रहा था,जिससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण प्रभावित हो रहा था। जिन स्टेशनों पर ट्रेनें लंबे समय तक रुकती हैं,वहां समस्या और बढ़ जाती है। इसके चलते थाना परिसर में दुर्गंध फैल रही थी। इन सबके समाधान के तौर पर रेलवे ने कुछ साल पहले कोचों में बायो-टॉयलेट लगाने का फैसला किया था।
प्रत्येक विभाग को अपने-अपने वाहनों में साधारण डिजाइन वाले शौचालयों के बजाय जैव-शौचालय स्थापित करने का काम सौंपा गया था। रेलवे के मुताबिक सेंट्रल रेलवे ने अपनी सभी ट्रेनों में करीब 5,000 कोचों में बायो-टॉयलेट लगाए हैं। बायो-टॉयलेट के लिए रेलवे की गाड़ियों में शौचालय के निचले हिस्से में विशेष रूप से डिजाइन किया गया टैंक लगाया गया है। इस बड़े टैंक में बैक्टीरिया पैदा होते हैं। इन जीवाणुओं के माध्यम से मानव अपशिष्ट जल में परिवर्तित हो जाता है। इसी तरह इस पानी को
क्लोरीन की मदद से ट्रीट किया जाता है। तो कहीं भी मानव गंदगी सीधे रेलमार्ग पर नहीं पड़ती। बायो-टॉयलेट टैंक से केवल प्रदूषण मुक्त पानी ही छोड़ा जाता है। ये शौचालय पुराने और पुराने रेलवे के डिब्बों में लगाए गए हैं। नए बने कूड़ेदानों में अब बायो-टॉयलेट लगाए जा रहे हैं। इसलिए कुछ वर्षों में भारत में सभी ट्रेनों से पुराने शौचालय हटा दिए जाएंगे,रेलवे का ऐसा मानना है।
2.74 लाख लीटर मलमूत्र प्रतिदिन
ट्रेनों में पुराने शौचालयों से मानव मल सीधे रेलवे पर गिर रहा था। इस समस्या के समाधान के लिए भारतीय रेलवे ने जैव-शौचालय स्थापित करने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है। वर्तमान में पूरे भारत में लगभग 73,000 रेलवे कैरिज में 2,58,906 बायो-टॉयलेट लगाए गए हैं। इसके जरिए रोजाना करीब 2 लाख 74 हजार लीटर मानव मल को सीधे रेलवे पर गिरने से बचाया जा रहा है।