नई दिल्ली(व्हीएसआरएस न्यूज) कातिल कोरोना पिछले डेढ साल से कोहराम मचा रखा है। हजारों की संख्या में लोग बेमौत मारे जा चुके है। महामारी की दूसरी लहर ने जवानों को निशाना अधिक बनाया। इसके पीछे क्या कारण रहा है। इस पर डब्ल्यूएचओ ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। धूम्रपान से कोरोना होता है जो फेफडों पर डायरेक्ट अटैक करता है। युवाओं में धूम्रपान करने की बुरी लत अधिक है। धूम्रपान फेफडों को नुकसान पहुंचाता है,मौत का जोखिम 50 फीसदी ज्यादा होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रयेसस ने धूम्रपान से कोरोना और मौत होने की ज्यादा संभावना,फेफडे पर असर,नेमोनिया का खतरा होने के बारे में आगाह किया है। धूम्रपान छोड देने में ही भलाई है ऐसा सुझाव दिया। धूम्रपान में बीडी,सिगरेट,गुटखा,तंबाखू,पानमसाला,शराब को शामिल किया गया है जिसके कारण नौजवान कोरोना के रास्ते मौत को आगोश में जा रहे है। ये धूम्रपान फेफडों को धीमे जहर से डेमैज कर रहा है।
…तो बढ़ जाता है गंभीर निमोनिया का रिस्क
एक्शन कैंसर अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट, हेड एंड नेक, ब्रेस्ट एंड थोरैसिक ऑन्को सर्जरी यूनिट, डॉक्टर राजेश जैन, के अनुसार कोविड या फेफड़ों से सम्बंधित किसी भी संक्रमण के सन्दर्भ में सबसे पहले यह समझें कि फेफड़े जितने स्वस्थ होंगे संक्रमित व्यक्ति की ठीक होने की क्षमता भी उतनी होगी। ऐसे में जाहिर है कि स्मोकिंग करने वाले व्यक्ति के फेफड़े तुलनामक रूप से कमज़ोर होंगे तो कोविड संक्रमण के बाद होने वाले गंभीर निमोनिया का अधिक जोखिम होगा।
धूम्रपान करने वाले लोगों के लिए कोविड-19 के अधिक घातक होने की बड़ी वजह यही है कि उनका शरीर वायरस के हमले का प्रतिरोध नहीं कर पाता और फेफड़े कमजोर होने के कारण उन्हें ऑक्सिजन और वेंटिलेटर की जरूरत अन्य लोगों से ज्यादा होती है। धूम्रपान फेफडों की हीलिंग पॉवर को कम करता है। नसों और मांसपेशियों को धूम्रपान कमजोर,गंभीर बना देता है। तंबाकू तो रक्त वाहिकाओं को क्षतिग्रस्त करने का काम करता है। तीन इंच की तंबाकू भरी सिगरेट अगर प्राणघातक है तो इसे छोड देने में ही समझदारी है।