तन को निगेटिव, मन को पॉजिटिव रखें – RSS प्रमुख मोहन भागवत
नई दिल्ली । व्हीएसआरएस न्यूज़ : देश में मौजूदा कोरोना संकट को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने आज कई अहम बातें कही हैं। नई दिल्ली में पांच दिनों के ‘पॉजिटिविटी अनलिमिटेड’ कार्यक्रम के आखिरी दिन बोलते हुए मोहन भागवत ने अपने संबोधन के दौरान ये बताने की कोशिश की कि कोरोना की पहली लहर के बाद आम जनता, सरकार और प्रशासन से कहां चूक हुई और अब हम सभी को इस महामारी की चुनौती से कैसे निपटना चाहिए। उन्होंने बताया कि दृढ़ संकल्प, लगातार प्रयास और धैर्य के साथ भारतीय समाज कोरोना पर निश्चित ही विजय प्राप्त करेगा।
कोरोना महामारी के बीच देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है। ऐसे में देश के सभी नागरिकों को अपने सभी भेदभाव भूलकर एक टीम की तरह काम करना होगा। हमें पूरा विश्वास है कि हम लोग कोरोना से जरूर जीतेंगे।
उन्होंने कहा कि हमें सकारात्मक रहते हुए मौजूदा परिस्थिति में खुद को कोविड निगेटिव रहने के लिए सावधानियां बरतनी होंगी। इसके साथ ही उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि हमें वर्तमान परिस्थितियों में तर्कहीन बयान देने से बचना चाहिए।ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किए गए ‘हम जीतेंगे पॉजिटिविटी अनलिमिटेड’ के तहत पांच दिवसीय व्याख्यानमाला के अंतिम दिन कहा कि कोरोना मानवता के लिए बड़ा खतरा है ऐसी परिस्थिति में भारत को विश्व के सामने उदाहरण रखना है और इस महामारी के खिलाफ युद्धस्तर पर काम करना होगा।
सबसे पहले बात मन की है। मन अगर हमारा थक गया, हार गया तो सांप के सामने चूहे जैसा हो जाता है, अपने बचाव के लिए कुछ करता नहीं, ऐसी हमारी स्थिति हो जाएगी। हमें ऐसी स्थिति नहीं होने देनी है। हम कर रहे हैं। जितना दुख है उतनी ही आशा है। समाज पर संकट है। यह निराशा की परिस्थिति नहीं है। लड़ने की परिस्थिति है। क्या ये निराशा, रोज 10-5 अपरिचित लोगों के जाने के समाचार सुनना, मीडिया के माध्यम से परिस्थिति बहुत विकराल है इसका घोष सुनना, ये हमारे मन को कटु बनाएगा। ऐसा होने से विनाश ही होगा। ऐसी मुश्किलों को लांघकर मानवता आगे बढ़ी है।
भागवत ने कोविड-19 के हालात पर कहा कि यह हमारी परीक्षा का समय है, लेकिन हमें एकजुट रहना होगा और एक टीम की तरह कार्य करना होगा। सफलता और असफलता अंतिम नहीं है, लड़ाई जारी रखने का साहस मायने रखता है।जबकि डॉक्टर इशारा कर रहे थे, लेकिन हम सभी संतुष्ट हो गए और इसीलिए आज हम सब कोरोना की दूसरी लहर के रूप में इस समस्या का सामना कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, अब तो आने वाले दिनों में कोरोना की तीसरी लहर की भी बात हो रही है, लेकिन हम सबको बजाय डरने के खुद को तैयार करने की जरूरत है।”
भागवत ने कहा कि देश में अब तीसरी लहर आने की चर्चा चल रही है। परंतु हमें घबराना नहीं है। हमें चट्टान की तरह इसका सामना करना है। उन्होंने कहा कि यह समय एक-दूसरे की तरफ अंगुली उठाने या आरोप-प्रत्यारोप का नहीं है। तीसरी लहर आने की बात हो रही है। इससे अर्थव्यवस्था, रोजगार, शिक्षा आदि पर गहरा प्रभाव पड़ा है। आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था पर और असर पड़ सकता है, इसलिए इसकी तैयारी हमें अभी से करनी होगी।भविष्य की इन चुनौतियों की चर्चा से घबराना नहीं है बल्कि ये चर्चा इसलिए जरूरी है ताकि हम आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए समय रहते तैयारी कर सकें।
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का उदाहरण देते हुए कहा, “ये समय रोजाना हमारे मन को उदास और कड़वा बनाएगा। लेकिन ये भी सच है कि सारी समस्याओं को पारकर सभ्यता आगे बढ़ी है। समाज की चिंता और प्लेग के मरीजों की सेवा करते-करते हेडगेवार के माता-पिता चले गए, तो क्या उनका मन कड़वाहट से भर गया, ऐसा नहीं है, बल्कि उन्होंने आत्मीयता का संबंध बनाया।”
उन्होंने कहा, “इसी तरह जब कोई भी विपत्ति आती है तो हमारी प्रकृति क्या है ? भारत के लोग जानते हैं कि पुराना शरीर रोगी हो गया और अब वह उपयोगी नहीं रहा। जैसे हम कपड़े बदलते हैं, वैसे ही हमें शरीर भी दूसरा धारण करना है। ऐसे में ये सब हमें द्वारा नहीं सकता, हमें जीतना है। सामने जो संकट है, उसे चुनौती मानकर संकल्प कर उससे लड़ना है। जब तक जीत न जाएं, तब तक लड़ना है।
बच्चों की शिक्षा पिछड़ने का यह दूसरा वर्ष होगा। अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम से, उनकी परीक्षा होगी या नहीं, प्रमोट होंगे या नहीं, इसकी चिंता छोड़कर, वे जो ज्ञान 2 साल में प्राप्त करने वाले थे, उसमें पिछड़ न जाएं, समाज के तौर पर इतनी चिंता हमें करनी चाहिए। कई लोगों का रोजगार चला गया है। रोज काम करके कमाने वाले भूखे न रहें। उनकी सुध लेनी है।
सावधानी रखकर ऐसे उपचार और आहार का सेवन करना है। विहार का भी ध्यान रखना है। खाली मत रहिए, कुछ नया सीखिए। परिवार के साथ गपशप कीजिए। बच्चों के साथ संवाद कीजिए। मास्क पहनना है। पर्याप्त अंतर पर रहकर एक दूसरे से संबंध रखना अनिवार्य है। वैसे ही सफाई का ध्यान रखना। सैनिटाइजर इस्तेमाल करते रहना। सारी बातें मालूम हैं हमें, लेकिन अनदेखी होती है, असावधानी होती है। कुछ लोग कोरोना की पॉजिटिविटी बदनामी मानकर छिपाकर रखते हैं। जल्दी इलाज नहीं कराते। समय पर इलाज होता है तो कम दवाओं में ही इस बीमारी से बाहर आ सकते हैं।
आपको बात दें कि कोविड रिस्पांस टीम (सीआरटी) की तरफ से 11 मई से ‘पांच दिवसीय ‘हम जीतेंगे: पाजिटिविटी अनलिमिटेड’ का आयोजन किया गया। समापन दिवस पर शनिवार को अंतिम दिन मोहन भागवत ने संंबोधित किया और इसी के साथ आयोजन संपन्न हो गया।
इससे पहले शुक्रवार को आध्यात्मिक गुरु दीदी मां साध्वी ऋतंभरा ने इस कार्यक्रम को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि मनुष्य के साहस व संकल्प के सामने बड़े-बड़े पर्वत तक नहीं टिक पाते हैं। ऐसे में इस अदृश्य विषाणु के दौर से भी जरूर बाहर निकलेंगे। यह ध्यान में रखना होगा कि इस विकट परिस्थिति में असहाय होेने से समाधान नहीं निकलेगा। हमें अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत करना होगा।
साध्वी के अलावा श्री पंचायती अखाड़ा-निर्मल के पीठाधीश्वर संत ज्ञानदेव ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था केवल भारतवर्ष में नहीं संपूर्ण विश्व में जो यह संक्रमण काल चल रहा है, इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है, मनोबल गिराने की आवश्यकता नहीं है। जो भी वस्तु संसार में आती है, वह सदा स्थिर नहीं रहती। दुःख आया है, वह चला जाएगा।