पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) राज्य में पुणे से पहले सख्त प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उत्तर में लगभग ढाई लाख नागरिकों को ट्रेन से उनके गृहनगर भेजा गया है। इसमें मुख्य रूप से मजदूर और उनके परिवार शामिल ह््ैं। उत्तर से ट्रेनों की बढ़ती मांग और प्रतीक्षा सूची को देखते हुए पुणे रेलवे द्वारा विशेष और अतिरिक्त ट्रेनों की योजना बनाई है। पुणे रेलवे ने कहा कि मांग लगातार बढती जा रही है, लेकिन महीने के अंत तक 15 और ट्रेनों चलाने की योजना बनाई गई है।
कोरोना की पहली लहर के बाद में रेलवे से विभिन्न लंबी दूरी की ट्रेनों को विशेष ट्रेनों के रूप में पेश किया गया है। पुणे में मुख्य रूप से उत्तर भारत की ओर बड़ी संख्या में ट्रेनें चल रही ह््ैं। यह मार्च के अंत तक शुरू हो गया था। हालाँकि पुणे में कोरोना के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। स्थानीय प्रशासन ने शहर और जिले में 1 अप्रैल से प्रतिबंध लगा दिए ह््ैं। नतीजतन वाहनों की मांग अचानक काफी बढ़ गई्। उत्तर में सर्वेक्षण ट्रेनों की प्रतीक्षा सूची बढ़ती जा रही है क्योंकि वर्तमान में ट्रेनों में सफर करने की केवल आरक्षण टिकट धारकों को अनुमति है। इसलिए, विशेष अतिरिक्त ट्रेनों की योजना बनाई गई थी। पुणे स्टेशन से दानापुर (पटना),भागलपुर (बिहार),गोरखपुर, लखनऊ आदि के लिए अतिरिक्त ट्रेनों को रवाना किया गया। 35 ट्रेनों को इन क्षेत्रों के लिए रवाना किया गया।
अतिरिक्त ट्रेनों के साथ-साथ उत्तरी राज्यों में महीनों से विशेष नियमित ट्रेनें भी उच्च मांग में ह््ैं। पुणे स्टेशन से, जम्मू तवी झेलम एक्सप्रेस,आज़ाद हिंदू,गोरखपुर,दामापुर,मंडुआडीह और अन्य ट्रेनें दैनिक रूप से जा रही ह््ैं। महीनों से ये सभी ट्रेनें पूरी क्षमता से यात्रियों को ले जा रही ह््ैं। अतिरिक्त और विशेष ट्रेनों को बिहार,मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के तीन राज्यों में यात्रियों के लिए उपलब्ध कराने की योजना है,जो उच्च मांग में ह््ैं। प्रत्येक ट्रेन में लगभग 1400 यात्रियों की बैठने की क्षमता है,जिसके अनुसार यह स्पष्ट है कि हर महीने लगभग ढाई लाख नागरिक उत्तर की ओर जाते ह््ैं। केवल कन्फर्म टिकट धारक स्टेशन पर ट्रेन प्रस्थान करने से 90 मिनट पहले स्टेशन पर पहुंच जाना चाहिए्।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में पुणे जिले समेत समूचे महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड रही है। मरीजों की संख्या ज्यादा,इलाज के संसाधनों की कमी।कुछ मरीज बिना इलाज के दम तोड रहे है। पिछले साल ट्रेनों को बंद कर दिया गया था।लाखों की संख्या में प्रवासी मजदुर यूपी,बिहार की ओर पैदल छोटे बच्चों,बुढे माता पिता के साथ निकल पडे थे। जिसमें से कई लोगों ने रास्ते में दम तोड दिए थे। रेलवे ट्रैक पर चल रहे मजदूरों का ट्रेन से कटकर मौत का मंजर आज तक किसी ने नहीं भूला। महाराष्ट्र से लाखों की संख्या में अगर मजदूर पलायन कर रहे है तो एक बात का संतोष करना पडेगा कि स्वास्थ्य सेवाओं पर पर रहा बोझ कुछ मायने में कम होगा। सबका ठीक से इलाज हो सकेगा। लेकिन मजदूरों का मायूस होकर दूसरी बार लौटना अच्छा संकेत नहीं। इनके दम पर महाराष्ट्र का उद्योग धंधा टिका है। अब ऐसा लगता है कि पलायन कर रहे मजदूर शायद वापस महाराष्ट्र तीसरी बार नहीं लौटना चाहेंगे।