बारामती(व्हीएसआरएस न्यूज) कुछ साल पहले वह अपने पति के इलाज की लागत को कवर करने के लिए बिना किसी उम्र के साड़ी पर नंगे पांव दौड़ती थी। उनके पति भगवान कारे (उम्र 72) का हाल ही में कोरोना के कारण निधन हो गया। कुछ साल पहले, भगवान कारे को दिल का दौरा पड़ा था। इलाज में बहुत पैसा खर्च हो रहा था। लता कारे के सामने सवाल यह था कि इसे कैसे बनाया जाए्। इस दौरान बारामती मैराथन का आयोजन किया गया था। प्रतियोगिता के विजेताओं को नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाना था। लता कारे इस विचार के साथ आयी कि यदि वह प्रतियोगिता जीतती हैं,तो उनके पति को उनके द्वारा प्राप्त धन से इलाज किया जा सकता है।
यह विचार किसी के भी दिमाग में नहीं आएगा जो मैराथन और प्रतियोगिता जैसी किसी भी चीज पर ध्यान नहीं देता है। लेकिन उन्होंने प्रतियोगिता में भाग लेने और जीतने का फैसला किया। उन्होंने वरिष्ठ समूह में बारामती मैराथन में भाग लिया। उनके सामने कई प्रतियोगी थे जिन्होंने पूरी तरह से अभ्यास किया और लगातार प्रतिस्पर्धा की। न पैरों पर जूते थे और न कपड़े, सिर्फ ज़िद्। उसी दृढ़ता और अपने पति को ठीक करने के लक्ष्य के साथ,वह सचमुच साड़ी में नंगे पांव दौड़ी और जीत गई्। उसे मिले इनाम से उसने अपने पति का सफल इलाज किया। उसने फिर अगली कुछ प्रतियोगिताओं में भाग लिया। इस जिद को देखते हुए उस पर एक फिल्म भी बनाई गई थी। उसके पति ने कोरोना अनुबंधित किया। उनके पास महंगी दवाएं खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। एनसीपी के बारामती शहर की अध्यक्ष अनीता गायकवाड़ ने उन्हें घबराहट की स्थिति में देखा। स्थिति को समझने के बाद कारे को उनकी मदद की आवश्यकता थी। हालांकि तब तक कोरोना की पकड़ मजबूत हो चुकी थी। भगवान कारे के जीवन को इससे बचाया नहीं जा सका।