पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे जिले में फिर कोरोना की रफ्तार तेज हो गई है। पुणे और पिंपरी चिंचवड शहर लॉकडाउन की ओर बढ रहा है। लोग बेखबर होकर सारे नियमों को तोड रहे है। बडी मुश्किल से कोरोना को शासन प्रशासन ने कंट्रोल करके 50-100 की संख्या में कैद कर दिया था।लेकिन नागरिकों ने ऐसी लापरवाही का नंगा नाच किया कोरोना कैद से आजाद हो गया। बुधवार 10 मार्च के आंकडों पर नजर डाले तो पुणे जिले में एक ही दिन में 2515 नए मरीज विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हुए। वर्तमान में जिले में कुल कोरोनरियों की संख्या 4,25,504 है। ये आंकडे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी की ओर से जारी हुए है। इलाज के दौरान 11 लोगों की मृत्यू हुई। अब तक कुल मृतकों की संख्या 9341 हो गई है। पुणे जिले में नए मरीजों में से 1352 पुणे पालिका और 633 पिंपरी चिंचवड पालिका क्षेत्र के है। पुणे के महापौर मुरलीधर मोहोल और पिंपरी चिंचवड मनपा की महापौर उषा माई ढोरे हर दिन स्वास्थ्य विभाग से फीडबॅक ले रहे है।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना की बढती रफ्तार की रोकथाम के लिए सात सूत्री कार्ययोजना पर काम कर रही है। संक्रमितों के नजदीक आने वालों की पहचान,जल्द जांच,हॉटस्पॉट क्षेत्र तय करना और मौतों के ऑडिट समेत सात सूत्री कार्ययोजना बनायी गई है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. प्रदीप व्यास ने इस संबंध में तीन मार्च को सभी जिला प्रशासनों को पत्र भेजा था और उन्हें इन बिंदुओं पर तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। कार्ययोजना में राजनीतिक,सामाजिक,धार्मिक जमावडों के बारे में दिशानिर्देश देकर कडाई से पालन करने को कहा गया है। समाज के नागरिकों,धार्मिक,राजनीतिक क्षेत्र के बुद्धिजीवीयों का मार्गदर्शन सहयोग लेने की बात कही गई। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के दल की टिप्पणी के बाद यह कार्ययोजना बनायी गयी है। इस दल ने हाल ही नागपुर,अमरावती,यवतमाल,ठाणे, ुणे और मुम्बई का दौरा किया था जहां संक्रमण के मामले बढ़े हैं।
सभी जिलाधिकारियों एवं नागरिक प्रमुखों को भेजे पत्र में डॉ. व्यास ने कहा कि वैसे तो केंद्रीय टीम की टिप्पणी उनकी यात्रा वाले जिलों के संदर्भ में थी लेकिन हो सकता है कि अन्य जिलों में कमोबेश ऐसा ही है, इसलिए सभी जिलो को इन रणनीतियों पर काम करने की जरूरत है।पत्र के अनुसार जिला प्रशासनों को संस्थानात्मक पृथक वास केंद्रों को सक्रिय करने का निर्देश दिया गया क्योंकि घरों में पृथक-वास करने वाले मरीजों की रोजाना निगरानी की उपयुक्त व्यवस्था नहीं है