पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) मुंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को पुणे में रोगियों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की और मुख्यमंत्री को पुणे और अन्य शहरों में उच्च संख्या वाले रोगियों में लॉकडाउन लगाने का निर्देश दिया। पुणे नगर आयुक्त इस समय मुंबई नगर आयुक्त से बात क्यों नहीं कर रहे हैं? उन्होंने ऐसा सवाल भी पूछा। इस बिंदु पर अदालत ने सलाह दी कि मुंबई मॉडल को अन्य नगर पालिकाओं द्वारा भी अपनाया जाना चाहिए्। इस बीच पुणे के मेयर मुरलीधर मोहोल ने एक गंभीर आरोप लगाया है कि अदालत में प्रस्तुत आंकड़े अलग है। तथ्य अलग हैं और हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि अदालत के समक्ष आंकड़े किसने दिए्। अदालत में प्रस्तुत वास्तविक और आंकड़े अलग-अलग है। इसलिए हमें खुलासा करना होगा।
अदालत को दी गई जानकारी के आधार पर अदालत अपना बयान देती है। लेकिन एक संदेह है कि यह आँकड़ा सच है। पिछले कई दिनों से राज्य सरकार के आंकड़ों में विसंगतियां देखी जा रही है। पुणे शहर की स्थिति अच्छी और नियंत्रण में है, मेयर ने दावा किया। पिछले 15 दिनों में पुणे में रोगियों की संख्या में 16,000 की कमी आयी है। यह दावा किया जाता है कि पुणे में 1 लाख से अधिक सक्रिय रोगी है। लेकिन वर्तमान में पुणे में केवल 39,000 सक्रिय रोगी है।
हो सकता है कि इसमें पुणे शहर,जिला,पिंपरी चिंचवड़ के आंकड़े भी हो्ं। लेकिन पुणे में पॉजिटिव,मृत्यु दर,सक्रिय रोगी जनसंख्या में कमी आयी है। पुणे शहर में स्थिति अच्छी है और रोगियों की संख्या कम हो रही है। सार्वजनिक जीवन के सुचारू होने के लिए अच्छा माहौल है। यह नागरिकों के मन में भ्रम पैदा कर रहा है और हम अदालत में एक हलफनामा प्रस्तुत करेंगे। स्थिति पिछले एक महीने से लॉकडाउन की तरह है और सकारात्मक रोगियों की संख्या में कमी आयी है और डिस्चार्ज में वृद्धि हुई है। व्यवस्थाएं सुचारू है। इससे ज्यादा लॉकडाउन क्या हो सकता है। उन्होंने कहा कि सख्त लॉकडाउन की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्थिति नियंत्रण में है।