पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड शहर में कोरोना मरीजों को लगने वाला प्राणरक्षक रेमडेसिवीर इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही है। 40 हजार में लोग इंजेक्शन खरीदने को मजबुर है। यह बात संज्ञान में आते ही पुलिस विभाग और पिंपरी चिंचवड मनपा प्रशासन सक्रिया हो गई है। इन गिरोहों को पकडने के लिए जाल बिछाया गया है। यह अब तक पता चला है कि डॉक्टर और चिकित्सा कर्मी इस श्रृंखला में शामिल है। तीन डॉक्टरों को एक ऐसे मामले में हथकड़ी लगाई गई है जिसमें उन्होंने वेंटिलेटर बेड के लिए 1 लाख रुपये लिए थे। फिर भी लूटपाट का प्रकार जारी है। यह पाया गया है कि ब्लैक मार्केट में रेमेडिसवीर के एक इंजेक्शन की कीमत 40 हजार बाजारों में ब्लैक से मिल रहा है। मरीज के परेशान परिजना मरता न क्या करता की तर्ज पर 40 हजार में खरीदने पर मजबुर है।
जैसे-जैसे शहर में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है, वैसे-वैसे पालिका के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी बेड पूरी तरह भर गए है। नए निदान वाले रोगियों के लिए कोई जगह नहीं है। गंभीर रूप से बीमार रोगियों को ऑक्सीजन के साथ-साथ कृत्रिम श्वसन से सुसज्जित बिस्तर नहीं मिलता है। इसमें से पैसे निकालने के तरीके है। ज्यादातर शिकायतें निजी अस्पतालों को लेकर है। चिंचवड़ के कोरोना केयर सेंटर में मुफ्त चिकित्सा सेवा होने के बावजूद एक लाख रुपये लेने का मामला प्रकाश में आया।
पुलिस को आशंका है कि इसी तरह की घटनाएं अन्य जगहों पर भी हो रही है। जब पुलिस ने रेमेडिसवीर के लिए नकली ग्राहक बनाकर जाल बिछाया तो पाया गया कि रेमेडिसवीर की कीमत 40,000 रुपये थी। मामले में एक नर्स सहित तीन लोगों को आरोपित किया गया था। इसके अलावा कुछ सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा कर्मचारियों को बाहर निकाला गया। उसने पुलिस के सामने कबूल किया कि उसने 40 के रूप में बेच दिया था। इस तरह शहर में लूट की एक विशेष श्रृंखला चल रही है और पुलिस उन पर शिकंजा कसने के लिए काम कर रही है।
मृतकों का धन,आभूषणों की लूट
कमिश्नर ऑफ पुलिस कृष्ण प्रकाश ने कहा कि कोरोनरी मरीज की मौत के बाद उसके सामान,पैसे और जेवरात चोरी होने की शिकायतें अस्पतालों में मिल रही हैं और ठोस सबूत मिलते ही ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी। बिस्तर पाने के लिए एक लाख रुपये स्वीकार करने के मामले में डॉ. प्रवीण जाधव, डॉ. सचिन कासबे, डॉ. शशांक राले को गिरफ्तार कर लिया गया है। मरीजों से पैसा उगाना फिरौती की तरह है। यह कुछ अन्य अस्पतालों में भी हो सकता है। जिन लोगों से पैसे मांगे गए हैं, उन्हें आगे आना चाहिए और शिकायत दर्ज करनी चाहिए ताकि इस तरह से लूटपाट करने वालों पर कार्रवाई की जा सके।