पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी के डॉ. डी वाय पाटिल आयुर्वेदिक कालेज में 5 अक्टूबर से लेकर 5 नवंबर 2020 तक सोरियासिस उपचार शिबिर का आयोजन किया गया है। त्वचा से संबंधित बीमारी के लिए मुफ्त उपचार चिकित्सा शिबिर आयोजित की गई है। ऐसी जानकारी आयुर्वेदिक कालेज के प्राचार्य डॉ.जी एस येवला ने दी।
सोरियासिस नामक बीमारी एक त्वचा से संबंधित है। इसमें संक्रमित मरीजों की विशिष्ट प्रकार से खून की जांच की जाएगी और मरीजों को तीन दिन तक मुफ्त दवाईयां दी जाने वाली है। त्वचा रोगी इस शिबिर का लाभ उठाएं ऐसी अपील डॉ.डी वाय पाटिल की ओर से की गई है। सोरियासिस एक प्रकार का चर्मरोग बीमारी है। जिसके लक्ष्ण हाथ,पैर,गर्दन,हथेलियों में चट्टा जैसे लाल प्रकार के दानेदार चमडी का होना होता है। दाद खुजली का हम सरल भाषा में दूसरा रुप कह सकते है लेकिन इसका शरीर में प्रभाव ज्यादा मात्रा में दिखाई देते है।

सोरायसिस त्वचा से संबंधित एक बीमारी है, जिसे अपरस भी कहा जाता है। इस बीमारी में त्वचा पर मोटी परत बन जाती है। यह परत लाल रंग के चकत्ते के रुप में नजर आती है। लाल चकत्ते में खुजली के साथ-साथ कभी-कभी दर्द और सूजन भी होने लगती है। यह एक गंभीर रोग है, जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण होती है। सोरायसिस के कारण रोगी का आम जीवन परेशानियों से भर जाता है,लेकिन आपको इससे घबराने की जरूरत नहीं है,क्योंकि आप सोयरासिस का घरेलू इलाज भी कर सकते हैं। सोरायसिस त्वचा से जुड़ी ऑटोइम्यून डिजीज है। इस रोग में त्वचा पर कोशिकाएं तेजी से जमा होने लगती हैं। सफेद रक्त कोशिकाओं के कम होने के कारण त्वचा की परत सामान्य से अधिक तेजी से बनने लगती है, जिसमें घाव बन जाता है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। बीमारी के बढ़ जाने पर लाल चकत्ते से खून निकल सकता है। कभी-कभी इसमें सूजन भी हो जाती है। यह मानसिक विकार भी उत्पन्न कर सकती है।

प्लेक सोरायसिस एक आम तरह का सोरायसिस है। 10 लोगों में 8 लोग इसी सोरायसिस के शिकार होते हैं। प्लेक सोरायसिस के कारण शरीर पर सिल्वर (चांदी) रंग और सफेद लाइन बन जाती है। इसमें लाल रंग के धब्बे के साथ जलन होने लगती है। यह शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकती है, लेकिन ज्यादातर कोहनी, घुटने, सिर, पीठ में नीचे की ओर होती है। इसमें त्वचा पर लाल,छिलकेदार मोटे या चकत्ते निकल आते हैं। इनका आकार दो-चार मिमी से लेकर कुछ सेमी तक हो सकता है। यह अक्सर कम उम्र के बच्चों के हाथ पांव, गले, पेट या पीठ पर होती है। यह छोटे-छोटे लाल-गुलाबी दानों के रूप में दिखाई पड़ती है। यह ज्यादातर हाथ के ऊपरी हिस्से, जांघ और सिर पर होती है। तनाव, त्वचा में चोट और दवाइयों के रिएक्शन के कारण यह रोग होता है। इससे प्रभावित त्वचा पर प्लेक सोरायसिस की तरह मोटी परतदार नहीं होती है। अनेक रोगियों में यह अपने आप,या इलाज से चार छह हफ्तों में ठीक हो जाती है। कभी-कभी ये प्लाक सोरायसिस में भी परिवर्तित हो जाती है।

ये एक दुर्लभ तरह का रोग है। ये ज्यादातर वयस्क में पाया जाता है। इसमें अक्सर, हथेलियों, तलवों या कभी-कभी पूरे शरीर में लाल दानें हो जाते हैं, जिसमें मवाद हो जाता है। ये देखने में संक्रमित प्रतीत होता है। यह ज्यादातर हाथों और पैरों में होता है, लेकिन यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसके कारण कई बार बुखार, मतली आदि जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं। ये सोरायसिस और अर्थराइटिस का जोड़ है। 70 फीसदी रोगियों में तकरीबन 10 साल की उम्र से इस सोरायसिस की समस्या रहती है। इसमें जोड़ों में दर्द, उंगलियों और टखनों में सूजन आदि जैसी समस्याएं होती हैं।
इसमें स्तनों के नीचे, बगल, कांख, या जांघों के ऊपरी हिस्से में लाल-लाल बड़े चकत्ते बन जाते हैं। ये ज्यादा पसीने और रगड़ने के कारण होते हैं। हथेलियों,पांव के तलवे,कोहनी,घुटने,सोयसाइसिस पीठ पर अधिक होता है।
सोयराइसिस किसी भी उम्र में नवजात शिशुओं से लेकर वृद्धों को भी हो सकती है।

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