दिल्ली। व्हीएसआरएस न्यूज़: आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है। यह दिन प्रत्येक वर्ष 12 मई को मनाया जाता है.l। इटली की नर्स सह नर्सिंग आंदोलन की नायिका फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती पर इस दिवस को मनाया जाता है। इस वर्ष का थीम है : ‘नर्स : नेतृत्वकर्ता के रूप में एक आवाज, भविष्य की स्वास्थ्य सेवा के लिए एक दृष्टि’. आज महामारी जब कहर बरपा रही है, इस दौर में नर्स की महत्ता काफी बढ़ गयी हैं। अपनी और परिवार की चिंता छोड़ मरीजों की जान बचाने में जुटी हैं। जान जोखिम में डाल ड्यूटी कर रही हैं। इनका कहना है कि इस समय उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गयी है। जिस कारण से बिना छुट्टी मरीजों की सेवा में जुटी हैं।
नर्स दिवस का इतिहास
नर्स दिवस को मनाने का प्रस्ताव पहली बार अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के अधिकारी डोरोथी सदरलैंड ने दिया था। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डीडी आइजनहावर ने इसे मनाने की स्वीकृति दी। पहली बार 1953 में नर्स डे मनाया गया। जबकि इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स ने इस दिवस को पहली बार वर्ष 1965 में मनाया। वहीं पेशे के रूप में नर्सिंग की शुरुआत करने वाली इटली की नर्स फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म दिवस 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में घोषणा जनवरी 1974 में की गयी।
डॉक्टर की अनुपस्थिति में नर्स 24 घंटे करती हैं मरीजों की सेवा
नर्स को शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक दृष्टि के माध्यम से रोगी की देखभाल करने के लिए प्रेरित किया जात है। इसके लिए इनका प्रशिक्षित, शिक्षित और अनुभवी होना जरूरी है. पेशेवर डॉक्टर जब दूसरे रोगियों को देखने में व्यस्त होते हैं, तब रोगियों की चौबीस घंटे देखभाल करने की जिम्मेदारी नर्स को दी जाती है। नर्स न केवल रोगियों के मनोबल को बढ़ाती है, बल्कि रोगी को बीमारी से लड़ने और देखरेख के साथ स्वस्थ होने के लिए प्रेरित भी करती है।
मरीज के स्वस्थ होने में नर्सों का जो योगदान है : लाल बाबू गुप्ता
आज इस विशेष दिवस पर विश्व श्रीराम सेना सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लाल बाबू गुप्ता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय परिचारिका दिवस की सभी देवी स्वरूपा हमारे परिचारिका माता बहनों को नमन जो अपने प्राणो की चिंता किए बिना दिन रात कोरोना महामारी में सेवाकार्य में लगीं है। उन्होंने आगे कहा कि अक्सर डॉक्टरों के आगे नर्सों को इतना महत्व नहीं दिया जाता है लेकिन किसी भी मरीज के स्वस्थ होने में नर्सों का जो योगदान है, उसे हम भूल नहीं सकते हैं। नर्सों के काम को समझना, समाज में अधिक लोगों को इस पेशे के लिए प्रोत्साहित करना और सम्मान देना इस दिन का मुख्य उद्देश्य है। ऐसे सच्चे जीवन रक्षक विश्व श्रीराम सेना समाजिक संगठन भारतवर्ष आप को नमन न बंदन करता है।
आपको बताते चलें कि कोविड-19 महामारी से लड़ने में नर्सें सबसे आगे हैं। डॉक्टर्स और दूसरे हेल्थ केयर वर्क्स की तरह नर्सें भी बिना आराम किए लगातार मरीज़ों की देखभाल कर रही हैं। नर्स एकमात्र स्वास्थ्य पेशेवर होते हैं,
जिन्हें लोग अक्सर संकट की स्थिति में देखते हैं। WHO के अनुसार, ” दुनिया के सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में आधे से अधिक योगदान नर्सों का है, फिर भी दुनिया भर में 2020 के आंकड़ों के अनुसार 5.9 मिलियन नर्सों की तत्काल कमी है, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में नर्सों की अभी भी ज़रूरत है।