पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड शहर की पवना नदी में जलकुंभी की समस्या पिछले डेढ़ महीने से पिंपरी-चिंचवड़ के लोगों को परेशान कर रही है। जबकि मच्छर शहर में व्याप्त हैं, लाखों निवासियों के उत्पीड़न के बावजूद नगरपालिका का स्वास्थ्य विभाग एक समाधान खोजने में विफल रहा है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने पिछले शुक्रवार को नगरपालिका को जलकुंभी हटाने का आदेश दिया था। महापौर माई ढोरे ने भी प्रशासन को इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने उनके आदेशों को ठेंगा दिखाने का काम किया है। शहर से बहने वाली इंद्रायणी,मुला, पवना नदी के बेसिन बिना किसी प्रक्रिया के रासायनिक तरल पदार्थ और सीवेज का निर्वहन करते हैं। हाल ही में नदी प्रदूषण में तेजी से वृद्धि हुई है। इसके अलावा नदियाँ पूरी तरह से जलकुंभी से पटी हैं। नदी का किनारा पूरी तरह से बंद है। मच्छरों और अन्य कीटों के साम्राज्य पूरे शहर में फैल गए हैं। नागरिक उनके उत्पीड़न से बेहद परेशान हैं। कोरोना में संकट के दौरान नागरिक डेंगू और मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों से चिंतित हैं। नगर पालिका द्वारा अपेक्षित कार्रवाई नहीं किए जाने से नागरिकों में रोष का माहौल है।
पिछले शुक्रवार को पुणे में हुई एक बैठक में उप मुख्यमंत्री ने पिंपरी नगरपालिका को तुरंत जलकुंभी हटाने का आदेश दिया था। इससे पहले मेयर ने स्वास्थ्य विभाग को जल जलकुंभी समस्या से जलकुंभी हटाने का आदेश दिया था। स्थायी समिति ने इस मुद्दे पर एक तूफानी चर्चा की। शत्रुघ्न काटे,संतोष कांबले,शशिकांत कदम,अभिषेक बारणेे,अंबरनाथ कांबले और अन्य लोगों ने स्वास्थ्य विभाग को निशाने पर लिया। जबतक जलपर्णी का काम शुरु नहीं होगा स्थायी समिति सभा नहीं ली जाएगी। ऐसा सभापति नितिन लांडगे ने एलान किया है। इससे पहले समिति ने जलकुंभी हटाने के लिए कमिश्नर द्वारा 2 करोड़ रुपये के तत्काल प्रस्ताव को 2 करोड़ रुपये का उप-अनुदेश जोड़कर 4 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी।
स्वास्थ्य प्रमुख डॉ.अनिल रॉय को नोटिस
आयुक्त राजेश पाटिल ने वर्तमान स्थिति की जिम्मेदारी ली। अनिल रॉय को गुरुवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। नागरिकों के स्वास्थ्य की उपेक्षा करके इस काम में विलंब गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। इस मामले में आपको लिखित में समझाना चाहिए कि आपको निलंबित और अनिवार्य अवकाश पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए। ऐसा आयुक्त ने पत्र में चेतावनी दी है।
लाभार्थियों से लूट की साजिश
अधिकारियों,जनप्रतिनिधियों और ठेकेदारों की साजिश,जलकुंभी को नहीं हटाने का कारण है। जलकुंभी निकालने के लिए 5 करोड़ रुपये तक खर्च किए जाते हैं। जब बारिश शुरू होती है तो जलकुंभी अपने आप नदियों से पानी के बहाव में बह जाती है। हर साल ठेकेदार बरसात होने तक मामले को ढकेलने का काम करता है। इन कार्यों के लिए भुगतान किया जाता है। वे लाभार्थियों को धन वितरित करते हैं। इस विधि का पालन वर्षों से किया जा रहा है। पानी की अधिकता से मच्छर पैदा होते हैं। इसलिए लाखों नागरिकों को नुकसान उठाना पड़ता है,इन लाभार्थियों के पास देने या लेने के लिए कुछ भी नहीं है। वर्तमान में जलकुंभी हटाने वाला ठेकेदार भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का एक साथी है और कहा जाता है कि उसे किसी की परवाह नहीं है।
पिंपरी पालिका की लापरवाही के कारण एक तरफ नदी को कवर करने वाले जलकुंभी की तस्वीर है। फिर हवा में स्वतंत्र रूप से साँस लेने के चरित्र का एक चित्र दिखाई दे रहा है। युवाओं के एक समूह ने गुरुवार सुबह से रावेत,पिंपरी,चिंचवड़ और आसपास के क्षेत्रों में सफाई अभियान चलाया। एक दिन का अभियान सीवेज द्वारा नदी में बहने वाले पानी और स्थिर जलकुंभी के कारण क्षेत्र में मच्छरों के प्रकोप को देखते हुए शुरू किया गया था। इसके तहत जेसीबी मशीन की मदद से नदी के बेसिन से जलकुंभी निकाली गई। नदी से गाद और मलबे को ट्रैक्टर द्वारा निकाला गया और ठीक से निपटान किया गया। इस अभियान में राजाभाऊ गोलांडे,नवनाथ भोंडवे,रविन्द्र भोंडवे,तानाजी भोंडवे,पवन पवार,शंकर ढोकरे,नंदू भोईर,मिलिंद धमाले,विश्वास सालुंके,निकोल भोंडवे और अन्य ने भाग लिया।