पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड मनपा के पशु वैद्यकीय विभाग प्रमुख डॉ.दगडे का दावा है कि वो हर महिने 5,000 कुत्तों की नसबंदी करते है। इस कार्य के लिए 4 संस्थाओं(एनजीओ) को ठेका दिया गया है। कुल 8 गाडियों के माध्यम से कुत्तों को पकडने का काम हो रहा है। एक कुत्ते को पकडकर उसकी नसबंदी करने के लिए 999 रुपये ठेकेदार को पालिका की ओर से भूगतान किया जाता है। सवाल है कि अगर प्रतिमाह 5 हजार कुत्तों की नसबंदी की जा रही है तो शहर की गलियों,चौक चौराहों पर इतनी बडी संख्या में कुत्ते और उनके पिल्ले कैसे दिखाई देते है? नसबंदी के बाद कुतिया पिल्लों को जन्म कैसे दे सकती है। संख्या कम होनी चाहिए। लेकिन पशु वैद्यकीय विभाग के आंकडे बता रहे है कि शहर में आवारा कुत्तों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह स्पष्ट होता है नसबंदी के इस खेल में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। अधिकारी और ठेकेदारों की मिलिभगत से फर्जी आंकडे,फर्जी कागजात,फर्जी नसबंदी की रिपोर्ट बनाकर हर महिने पालिका की तिजोरी से लाखों रुपये निकाले जा रहे है।
कुत्तों की नसबंदी में भ्रष्टाचार का यह मामला कोई पहली बार उजागर नहीं हुआ है। इसके पहले भी इस मुद्दे को लेकर मनपा की महासभा में भाजपा नगरसेविका आशा शेडगे ने मजबुती के साथ उठाकर डॉ.दगडे को कठघरे में खडा करने का काम की थी। यहां तक कहा कि डॉ. दगडे पर चाहे कितना आरोपों,शब्दों के बाण छोडा जाए उन पर कोई असर नहीं पडता क्योंकि वो दगड(पत्थर) है। शासन दरबार से भेजे गए अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर पालिका सेवा में डॉ.गोरे के रिटायरमेंट के बाद आए थे। आशा शेडगे ने महासभा में सवाल किया था कि अगर नसबंदी की जाती है तो नए नए कुत्तों के पिल्लों की पैदाइश कैसे हो रही है? क्या पिल्ले पैदा करने के लिए दूसरे शहर अथवा राज्यों से कुत्तों का आयात निर्यात किया जाता है?
शहर के जाने माने वकील प्रज्वल दुबे ने सूचना अधिकार के तहत एक गोपनीय जानकारी पशु वैद्यकीय विभाग से हासिल की। जिसमें यह चौंकाने वाला सत्य सामने आया कि कुत्तों को केवल पकडा जाता है लेकिन बिना नसबंदी के वापस छोड दिया जाता है। मतलब उन्हीं कुत्तों को पकड करके बार बार उन पर नसबंदी दिखाकर पालिका की तिजोरी को चाटने का काम हो रहा है। आंकडा ज्यादा दिखाने के लिए कुछ दिन कैद खाने में कुत्तों को रखा जाता है। जिन ठेकेदारों को कुत्ता पकडने व नसबंदी करने का ठेका दिया गया है उनके ठेका से संबंधित लगने वाले आवश्यक कागजात आधे अधूरे है। लॉकडाउन के दौरान नसबंदी और उनके ऑर्गन्स लिए गए,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर भी लाखों का बिल पास किया गया।
शहर की जनता आवारा कुत्तों से परेशान है। बीच सडकों पर झुंड बनाकर कुत्तों का फौज अतिक्रमण करके बैठे देखे जा सकते है। सुनसान इलाकों में कुत्ते छोटे बच्चों,महिलाओं को निशाना बनाते है। शहर में आवार कुत्तों का आतंक है। यह एक सच्चाई है। अगर नसबंदी हो रही तो इतने बडे पैमाने पर कुत्तों के पिल्ले पैदा कैसे होते है? इस सवाल को भी झुठलाया नहीं जा सकता है। हलांकि पशु वैद्यकीय अधिकारी डॉ. दगडे हमेशा की तरह गैर जिम्मेदाराना बयान दिया कि अगर कहीं गडबडी हो रही है अथवा भ्रष्टाचार हो रहा है तो वे इसकी जांच कराएंगे और दोषियों पर योग्य कार्रवाई करेंगे। लेकिन यह कोई पहली बार आश्वासन,दावा नहीं किया। कई बार तोते की तरह यह रटा रटाया डॉयलाग मारकर मामले को ठंडे बस्ते में डालने का काम किया। अब देखना होगा कि पालिका के नए आयुक्त राजेश पाटिल अपने इस गैरजिम्मेदार,भ्रष्ट,अकार्यक्षम अधिकारी पर क्या कार्रवाई करते है?