पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड मनपा एक दुधारु गाय की तरह है यह सबको पता है लेकिन शहर से दो नदियां पवना और इंद्रायणी की लंबाई बढने और उसके नाम पर 1.5 करोड रुपये का वारा न्यारा करने का नया फंडा समझ से बाहर का है। लेकिन ऐसा हुआ है। पिछले स्थायी समिति की बैठक में एक ऐसे ही विषय को मंजूरी दी गई जो नदियों की 6-7 किमी लंबाई बढने का दावा किया गया। इस बारे में जब सभापति संतोष लोंढे से पूछा गया कि नदियों की लंबाई कैसे बढ़ सकती है? कोई तथ्य हो तो कृपा करके बताएं। लेकिन सभापति के मुंह में ताला जड़ गया। पर्यावरण विभाग के संजय कुलकर्णी को जब बुलाया गया तो वो भी मीटिंग का बहाना बनाकर टाल गये। सभापति का कहना है कि स्थायी ने नदियों के सुधार के नाम पर 1.5 करोड रुपये की मंजूरी दी है। लेकिन इसके बारे में कोई जानकारी नहीं। फिर बिना जानकारी किए मंजूर कैसे किया गया? यह सबसे बडा सवाल है।
नदी सुधार के नाम पर अब तक करोडों रुपये पालिका तिजोरी से निकाला जा चुका है। संजय कुलकर्णी का कामकाज हमेशा संदेहास्पद,चर्चाओं में रहा है। गुजरात के एक ठेकेदार को सलाहकार नियुक्त किया गया है और उसे 25 लाख रुपये नजराना देकर सलाह मांगी जाएगी। सामाजिक कार्यकर्ता किशोर तेलंग ने आयुक्त को एक पत्र देकर जानकारी मांगी है। साथ ही आरोप लगाए हैं कि आयुक्त एक स्मार्ट भ्रष्ट अधिकारी है।
अब आते हैं नदी की लंबाई 6-7 किमी कैसे बढ़ी इस मुद्दे पर? पिछले 10 सालों में मनपा सीमा के अंदर नए गांवों को शामिल नहीं किया गया। पालिका की सीमा में बढोत्तरी भी नहीं हुई। नदियां एक शहर से बहकर दूसरे शहर,गांव कस्बों तक होकर आगे बढती जाती है। पालिका केवल अपनी सीमा के दायरे को ध्यान में रखकर विकास काम करती है। मगर 7 किमी का दायरा अचानक बढ गया ये कैसे संभव है? किसी के गले के नीचे नहीं उतर रहा। भ्रष्टाचार का यह एक नया रुप देखने को मिल रहा है। स्थायी समिति का कार्यकाल समाप्त होने वाला है। सभापति और सदस्य मिलकर ज्यादा से ज्यादा दूध पीना चाहते है। सभापति रात 9 बजे तक अधिकारियों को रोककर या परेशान करके ज्यादा से ज्यादा विकास काम निकालने का दबाव बना रहे है। सभापति की दौड 1,2,3 मजला में देखने को मिल रही है। हम तो बस यही कहेंगे कि गंदा है पर धंधा है।