नई दिल्ली(व्हीएसआरएस न्यूज) वातावरण ऐसे खिल उठा है, मानो लॉकडाउन उसके लिए वरदान बनकर आया. यकीनन, कोरोना वायरस के प्रकोप की रोकथाम के लिए 24 मार्च से लागू लॉकडाउन गरीब-गुरबों और प्रवासी मजदूरों के लिए आफत बनकर आया है लेकिन इसका एक नतीजा हर तरह के प्रदूषण में भारी कमी के रूप में दिख रहा है. वाकई, यह सुखद एहसास पैदा करता है. मानो प्रकृति अपने मूल स्वरूप में लौट गई है. हवा, पानी अपने शुद्घ-साफ स्वरूप में दिखने लगा है. इसके नजारे उत्तराखंड में सबसे स्पष्ट दिख रहे हैं. देश के प्रमुख तीर्थ स्थल हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा जल एकदम साफ नीला दिखता है और वैज्ञनिक इसे पीने योग्य बता रहे हैं.
वैज्ञानिकों के अनुसार गंगा के साफ पानी की वजह, इसके पानी में घुले डिसॉल्वड सॉलिड की मात्रा में आई 500 प्रतिशत की कमी है. जाहिर है, ऐसा तीर्थनगरी में मौजूद धर्मशाला, होटल-लॉज से आने वाले सीवर और अन्य प्रदूषकों में कमी की वजह से हुआ है. पानी की गुणवत्ता में आया असर साफ दिखाई दे रहा है.
ऋषिकेश में इस पानी को डिसइंफेक्ट कर पिया जा सकता है. हरिद्वार में ये नहाने योग्य है और कुछ ट्रीटमेंट के बाद पीने योग्य भी इसे आसानी से किया जा सकता है. उत्तराखंड पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड के अध्ययन भी प्रदूषण में आई गिरावट की पुष्टि कर रहे हैं.
उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन शहर हों या फिर देवभूमि के धार्मिक महत्व के तीर्थ या नगर हर जगह लॉकडाउन के चलते पर्यावरण में बहुत सुधार दिख रहा है. अप्रैल, मई और जून के महीनों में यहां लगभग सभी शहरों-कस्बों में लोगों की भीड़ लगी रहती थी लेकिन इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है
मनुष्य इस पृथ्वी पर रहने वाला एकमात्र ऐसा जीव है जो की पृथ्वी के तमाम संसाधनों का बेतरतीब तरीके से दोहन करता है. एक वक्त ऐसा था जब इस पृथ्वी पर इंसान तो थे लेकिन वे एकदम सीमित संख़्या और स्थान पर निवास करते थे जिसके कारण पृथ्वी का समन्वय बना हुआ था परन्तु समय के साथ खेती की खोज हुयी और मनुष्यों ने एक स्थान पर रहना शुरू कर दिया और उद्योगों आदि की स्थापना की. विभिन्न धातुओं के खोज के साथ ही मनुष्य की महत्वाकांक्षा बढती चली गयी और मनुष्यों ने पृथ्वी का दोहन शुरू किया. इसी दोहन के कारण मौसम के कई परिवर्तन आये जिसने हजारों बीमारियों को जन्म दिया इन्ही बीमारियों ने महामारी का रूप ले लिया. उद्योगीकरण और वैश्वीकरण ने खाद्य से लेकर जल तक को अशुद्ध कर दिया जिसने बीमारियों को निमंत्रण देने का कार्य किया.
लॉकडाउन के दुष्प्रभाव
पिछले चार महीनों में हमारी दुनिया एकदम बदल गई है. हज़ारों लोगों की जान चली गई. लाखों लोग बीमार पड़े हुए हैं. इन सब पर एक नए कोरोना वायरस का क़हर टूटा है. और, जो लोग इस वायरस के प्रकोप से बचे हुए हैं, उनका रहन सहन भी एकदम बदल गया है. ये वायरस दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में पहली बार सामने आया था. उसके बाद से दुनिया में सब कुछ उलट पुलट हो गया.
वर्तमान समय में कोरोना ने पूरे विश्व भर में एक अत्यंत ही घातक महामारी का रूप ले लिया है. कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया में लंबे समय तक लॉकडाउन रहा. इसके चलते प्रकृति में मनुष्य का दख़ल एकदम बंद हो गया. नतीजा, प्रकृति खुलकर, निखरकर अपने नैसर्गिक स्वरूप में आ गई. कोरोना वायरस से मानवता को जरूर बड़ा नुकसान हुआ है लेकिन पर्यावरण पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.