दिल्ली | व्हीएसआरएस न्यूज : हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि विश्वकर्मा दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर हैं। हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माणकर्ता और शिल्पकार माना जाता है। इन्हें यंत्रों का देवता कहा जाता है। विश्वकर्मा ब्रह्मा के 7वें पुत्र हैं।
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक़, ब्रह्मा जी के निर्देशानुसार विश्वकर्मा जी ने इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक और लंका आदि राजधानियों का निर्माण किया था।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा हर वर्ष सितंबर माह में की जाती है। इस माह में विश्वकर्मा पूजा या भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है। विश्वकर्मा पूजा के दिन विशेष तौर पर औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों आदि की पूजा की जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, व्यापार में तरक्की और उन्नति होती है। जो भी कार्य प्रारंभ किए जाते हैं, वे पूरे होते हैं।
भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर भी कहा जाता है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा कब है, पूजा का मुहूर्त क्या है ?
कौन हैं भगवान विश्वकर्मा
मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा पहले वास्तुकार और इंजीनियर हैं। इन्होंने स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, द्वारिका नगरी, यमपुरी, कुबेरपुरी आदि का निर्माण किया था। उन्होंने इस संसार की रचना में ब्रह्मा जी की मदद की थी। इस संसार का मानचित्र तैयार किया था।
विश्वकर्मा पूजा 2021
हर वर्ष की तरह इस बार भी विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर दिन शुक्रवार को है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में विश्वकर्मा पूजा मनाया जाएगा। विश्वकर्मा पूजा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06 बजकर 07 मिनट से अगले दिन 10 सितंबर को प्रात: 03 बजकर 36 मिनट तक बना रहेगा।
विश्वकर्मा पूजा 2021 मुहूर्त
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर वर्ष विश्वकर्मा पूजा सूर्य की कन्या संक्रांति पर किया जाता है। इस वर्ष 17 सितंबर को रात 01 बजकर 29 मिनट पर सूर्य की कन्या संक्रांति का क्षण है। इस दिन राहुकाल सुबह 10 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक है। राहुकाल को छोड़कर आप विश्वकर्मा पूजा करें। हालांकि सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06 बजकर 07 मिनट से प्रारंभ हो रहा है, तो आप इस समय से पूजा कर सकते हैं।
विश्वकर्मा पूजा विधि: पूजा के दिन फैक्ट्री, वर्कशॉप, दुकान आदि के स्वामी अर्थात यजमान को सपत्नीक सुबह स्नान आदि करके पूजा शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल पर बैठ जाएं। पूजा चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करें। अब जिन चीजों की पूजा करनी है,
उनपर हल्दी अक्षत और रोली लगाएं। अब भगवान विश्वकर्मा को अक्षत, फूल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, दही, रोली, सुपारी,रक्षा सूत्र, मिठाई, फल आदि अर्पित करें। धूप दीप से आरती करें।
ये सारी चीजें उन हथियारों पर भी चढ़ाएं जिनकी पूजा करनी है। अब कलश को हल्दी और चावल के साथ रक्षासूत्र चढ़ाएं, इसके बाद पूजा में ‘ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:’, ‘ॐ अनन्तम नम:’, ‘पृथिव्यै नम:’ मंत्र का जप करना चाहिए। जप करते समय साथ में रुद्राक्ष की माला रखें। अंत में आरती करके प्रणाम करते हुए पूजा समाप्त करके प्रसाद वितरण करें.
विश्वकर्मा पूजा का महत्व: कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के लिए अस्त्रों, शस्त्रों, भवनों और मंदिरों का निर्माण किया था। सृष्टि की रचना में विश्वकर्मा ने भगवान ब्रह्मा का सहयोग किया था।
कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यक्ति को किसी भी तरह की कोई कमी नहीं रहती है। व्यापार में वृद्धि होती है। जीवन में धन-धान्य और समृद्धि की कोई कमी नहीं रहती है। उनकी सभी मनोकामना भी पूर्ण होती है.