दिल्ली। व्हीएसआरएस न्यूज: भारत में विकसित कोविड-19 (कोरोना वायरस) वेक्सीन फरवरी महीने में आम जनता के लिए उपलब्ध हो सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि स्थानीय कोविड-19 वेक्सीन ‘कोवाक्सिन’ के फाइनल ट्रायल अगले एक या दो महीने में पूरे जा जाएंगे। इससे दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा संक्रमितों की संख्या वाले देश में जल्द कोरोना वैक्सीन उपलब्ध होने की संभावना पूरी हो गई है।
स्वास्थ्य मंत्री ने एक वर्चुअल कांफ्रेंस में एक बार फिर दोहराया कि सरकार ने जुलाई तक 20 से 25 करोड़ भारतीयों को वैक्सीन की डोज देने की योजना तैयार कर रखी है। इससे पहले गुरुवार को हर्षवर्धन ने अगले तीन से चार महीने में वैक्सीन तैयार हो जाने की बात कही थी। वही कोवाक्सिन विकसित कर रही भारत बायोटेक कंपनी ने वैक्सीन के जून तक बाजार में उपलब्ध होने की संभावना जताई है। कंपनी के क्वॉलिटी ऑपरेशंस के प्रमुख साई डी प्रसाद ने कहा, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन और दवा नियंत्रक ने सांस संबंधी रोग के टीके को कम से कम 50 फीसदी प्रभावी रहने पर अनुमति दी थी।
कंपनी ने कोवाक्सिन को 60 फीसदी तक असरदार बनाने का लक्ष्य तय किया है। यह अनुमान से अधिक भी हो सकता है। परीक्षण में पता चला है कि टीके के 50 फीसदी से कम असरदार रहने की संभावना बहुत कम है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोई भी टीका कोरोना वायरस से 100 फीसदी राहत नहीं दे सकता है। अगर 50 फीसदी राहत भी मिलती है तो भी उस टीके को अनुमति दी जा सकती है, हालांकि, इससे कम असरदार रहने पर टीके को मंजूरी नहीं दी जा सकती है।
वही इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने इस महीने की शुरुआत में वैक्सीन के फरवरी या मार्च में लांच कर दिए जाने का दावा किया था। भारत बायोटेक कोवाक्सिन का विकास आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से ही कर रही है। वैक्सीन के तीसरे स्टेज के परीक्षण इस महीने शुरू किए गए हैं, जिसमें 2600 वालंटियर भाग ले रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण से राहत पाने के लिए देश का पहला स्वदेशी टीका कम से कम 60 फीसदी तक कारगर है। यह अगले साल जून में बाजार में आ सकती है।
आपको बताते चले की भारतीय टीका कोवॉक्सिन की निर्माता कंपनी भारत बायोटेक की ओर से यह दावा किया गया है। इससे पहले टीके के प्रभाव 90 फीसदी तक बताए जा रहे थे। हालांकि, अब दो चरण के परीक्षण पूरे होने के बाद कंपनी ने टीका लेने वाले लोगों में 60 फीसदी सफलता बताई है। पहले चरण का परीक्षण पूरा होने के बाद कंपनी ने 90 फीसदी सफलता बताई थी।
टीके को भारत बायोटेक इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से बना रही है। भारत बायोटेक के क्वॉलिटी ऑपरेशंस के प्रमुख साई डी प्रसाद ने कहा, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन और दवा नियंत्रक ने सांस संबंधी रोग के टीके को उस वक्त मंजूरी दी है, जब वह कम से कम 50 फीसदी प्रभावी थी। कंपनी ने कोरोना टीके का करीब 60 फीसदी प्रभावीकरण का लक्ष्य रखा है। यह अनुमान से अधिक भी हो सकता है।
परीक्षण में पता चला है कि टीके के 50 फीसदी से कम असरदार रहने की संभावना काफी कम है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोई भी टीका कोरोना वायरस से 100 फीसदी राहत नहीं दे सकता है। अगर 50 फीसदी राहत भी मिलती है तो भी उस टीके को अनुमति दी जा सकती है, हालांकि, इससे कम असरदार रहने पर टीके को मंजूरी नहीं दी जा सकती है।
इन दो चरणों के दौरान एक हजार लोगों को टीके की खुराक दी गई थी। इसी महीने की शुरुआत में कंपनी ने तीसरा परीक्षण शुरू किया है, जिसके तहत देशभर के 25 केंद्रों पर 26 हजार वॉलंटियरों को टीका लगाया जाएगा। यह देश में कोरोना वायरस का टीका बनाने की दिशा में सबसे बड़ा परीक्षण है। परीक्षण के दौरान सभी वॉलंटियरों की अगले साल की शुरुआत तक निगरानी की जाएगी। इन्हें हर 28 दिन के अंतराल पर दो इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन दिए जाएंगे। तीसरे चरण के आंकड़े 2021 की पहली तिमाही तक उपलब्ध हो जाएंगे। इसके बाद टीका जारी करने की मंजूरी ली जाएगी।