दिल्ली|व्हीएसआरएस न्यूज: वैश्विक महमारी कोरोना संक्रमण और उससे होने वाली मौतों के चलते एक लंबा वक्त गुजर चुका है। अब हर कोई कोरोना के टीके का इंतजार कर रहा है। ऐसे में टीका के आपात स्थिति में इस्तेमाल की अनुमति को लेकर भी प्रयास चल रहे हैं। अगर टीका आता है तो उसे लगाने के लिए सिरिंज की जरूरत भी होगी। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हरियाणा के फरीदाबाद स्थित हिंदुस्तान सिरिंज्स कंपनी की फैक्ट्री में हर घंटे एक लाख सिरिंज का निर्माण हो रहा है।
हालाँकि भारतीय कंपनियां रात-दिन सिरिंज का निर्माण करने में जुटी हैं। इसी बीच कोरोना वायरस के टीकाकरण में पहली बार एक खास तरह की सिरिंज का इस्तेमाल भी किया जाएगा। इस खास तकनीक की वजह से सिरिंज का एक बार इस्तेमाल किया जा सकेगा। दूसरी बार उसका प्रयोग नहीं होगा क्योंकि वह पहली बार में ही लॉक हो जाएगी। 0.5 एमएल की सिरिंज को पहली बार खास तकनीक से बनाया जा रहा
वही अब तक कई लाख सिरिंज तैयार कर चुकी हैं। केंद्र सरकार से कंपनी को अब तक कई ऑर्डर भी मिल चुके हैं। इसके तहत हर घंटे एक लाख सिरिंज का उत्पादन हो रहा है। कंपनी ने अगले वर्ष तक 100 करोड़ सिरिंज का उत्पादन करने का लक्ष्य भी रखा है। कंपनी के एमडी राजीव नाथ ने बताया कि इस बार सिंगल यूज सिंरिज को बनाया जा रहा है जिसका सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति सिरिंज का दोबारा इस्तेमाल करना चाहेग तो भी वह उसका इस्तेमाल नहीं कर पाएगा क्योंकि यह पहली बार में ही लॉक हो जाती है।
इन सिरिंज को चार हिस्सों में बनाया जा रहा है जिसमें से एक प्लंजर है जिसे डोज लेते वक्त खींचा जाता है। यह प्लंजर केवल एक बार खिंचा जा सकेगा ताकि हवा का दवाब बने। इसके बाद प्लंजर को दबाकर डोज मांसपेशियों तक पहुंच जाएगी। अगर कोई दोबारा प्लंजर को इस्तेमाल करने के लिए खींचता है तो वह टूट जाएगा।
ठीक इसी तरह सिरिंज का दूसरा हिस्सा नीडल है जिसे एक तकनीक की मदद से लॉक किया गया है। कोई भी व्यक्ति इस लॉक को तोड़ नहीं सकता। राजीव नाथ ने बताया कि दुनिया के कई देशों में सिरिंज को दोबारा इस्तेमाल करने की समस्या है। आमतौर पर नीडल को निकाल दोबारा सिरिंज का इस्तेमाल कर लिया जाता है। क्योंकि यह संक्रामक रोग है, ऐसे में ऑटो डिस्पोजल सिरिंज की जरूरत है। इसलिए नई तकनीक के आधार पर इसे तैयार किया जा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय टास्क फोर्स के अनुसार, भारत में कोरोना वायरस के टीकाकरण के लिए कई करोड़ सिरिंज की आवश्यकता है। अभी तक यह स्पष्ट हो चुका है कि एक व्यक्ति को कम से कम दो डोज दी जानी है। ऐसे में सरकार ने पहली डोज के लिए ही 90 करोड़ सिरिंज की जरूरत पड़ने का अनुमान लगाया है। जबकि पहले चरण को पूरा करने के लिए सरकार को दोगुना सिरिंज की आवश्यकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के ही अनुसार, जुलाई माह तक देश में करीब 40 करोड़ टीका की डोज उपलब्ध हो जाएंगी जिसके बाद सिंतबर माह तक टीकाकरण का पहला चरण पूरा हो जाएगा। सरकार सबसे पहले देश के करीब 25 से 30 करोड़ लोगों को टीका देने का लक्ष्य है।
इस बारे में राजीव नाथ ने बताया कि सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत सालाना 300 मिलियन सिरिंज की आवश्यकता होती है लेकिन अब कोरोना वायरस के चलते यह मांग दोगुना की गई है। अगले वर्ष जून माह तक 600 मिलियन सिरिंज का उत्पादन करना है क्योंकि देश में कोरोना वायरस और सार्वभौमिक टीकाकरण (जो कि बच्चों के लिए संचालित है) दोनों को साथ साथ चलाना है। इसके लिए सरकार से ऑर्डर प्राप्त हो चुके हैं जिसके बाद उत्पादन को तेज कर दिया है।
आपको बताते चले कि स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में हर किसी को टीका नहीं दिया जाएगा। जिस भी व्यक्ति को जरूरत होगी सिर्फ उसे टीका दिया जाएगा। इसके अलावा कोरोना के टीकाकरण में केवल 60 फीसदी स्टाफ कार्यरत रहेगा। बाकी 40 फीसदी स्टाफ को पहले से चले आ रहे टीकाकरण में लगाया जाएगा ताकि देश के नौनिहालों की सुरक्षा भी साथ साथ हो सके।