पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज)मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटर बम से राष्ट्रवादी मुश्किल में पडती नजर आ रही है। भाजपा ने चौतरफा हमला कर रही है। गृहमंत्री अनिल देशमुख का इस्तीफा मांग रही है। दूसरी तरफ राकांपा सुप्रिमों ने कहा है कि परमबीत जब मुंबई के कमिश्नर थे तब आरोप क्यों नहीं लगाए?सचिन वाझे की नियुक्ति परमबीर सिंह ने की थी। गृहमंत्री का इस्तीफा लेने का मौलिक अधिकार मुख्यमंत्री का है।
आओ समझाते है पूरा मामला। मुकेश अंबानी के एंटीलिया महल के बाहर विस्फोटक से भरी एक कार संदिग्ध हालत में बरामद हुई। इसका कनेक्शन एनकाउंटर स्पेशालिस्ट सचिन वाझे से है ऐसा एनआईए की जांच में दिखाई दे रहा है। वाझे कई सालों तक निलंबित थे। देवेंद्र फडणवीस सरकार में शिवसेना ने वाझे को वापस पुुलिस सेवा में लेने का दबाव बनाया। फिलहाल वाझे एनआईए की गिरफ्त में है। इधर भारी विरोध को देखते हुए उद्धव ठाकरे ने परमबीर सिंह का तबादला कर दिया। परमबीर सिंह ने एक लेटर बम जारी करते हुए आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने प्रतिमाह 100 करोड रुपये जमा करने का टारगेट वाझे को दिया था। इसके बाद मुंबई से लेकर दिल्ली तक राजनीति का पारा गर्म हो गया।
आज शरद पवार ने मोर्चा संभालते हुए कहा कि परमबीर के आरोपों में दम नहीं। केवल आरोप है प्रमाण नहीं दिए। लेटर में हस्ताक्षर नहीं। वसूली का पैसा किसको दिया गया इसका जिक्र नहीं है। सरकार की छवि खराब करने और अस्थिर करने का दांव विरोधी पार्टियों की है। गृहमंत्री के इस्तीफे के बारे में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे फैसला करें। इधर केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि अगर गृहमंत्री का 100 करोड का टारगेट तो बाकी मंत्रियों का टारगेट कितना था इसका भी खुलासा होना चाहिए। देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जब तक गृहमंत्री देशमुख इस्तीफा नहीं देते तब तक भाजपा शांत बैठने वाली नहीं। राकांपा के सामने सांप छछुंदर वाली हाल हो गई है न निगलते बनता है न उगलते।