दिल्ली| व्हीएसआरएस न्यूज: दिल्ली-एनसीआर में गिरते तापमान के कारण ठंड बढ़ गया है। कल शनिवार को हुई बारिश और दिनभर छाए रहे कोहरे ने लोगों को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया, लेकिन नए कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग कर रहे किसानों पर इसका खास असर नहीं पड़ा है। वह पूरे जोश के साथ अडिग हैं। गाजीपुर, चिल्ला, सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर डटे किसानों ने साफ कर दिया है कि वह बगैर मांग पूरी हुए पीछे नहीं हटेंगे। ठंड जितनी बढ़ेगी, उनका हौसला भी उतना ही बढ़ेगा। वही अलाव जलाकर ठंड को मात देने की कोशिश यहां मौजूद कई बुजुर्ग किसान तो रजाई से भी बाहर नहीं निकल सके। कुछ जगहों पर लोग अलाव जलाकर ठंड को मात देने की कोशिश में जुटे रहे। बावजूद इसके, किसानों के हौसले में बिल्कुल भी कमी नहीं दिखाई दी। बुजुर्ग किसानों का कहना था कि ठंड उनके हौसले को मात नहीं दे सकती है। जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि बिलों को वापस नहीं ले लेती है, तब तक वह यूं ही डटे रहेंगे।
गाजीपुर बार्डर पर एनएच-9 पर फ्लाईओवर के ऊपर मेन रोड पर किसान मंच बनाकर धरने पर बैठे हैं। यहां पूरे दिन अलग-अलग जगहों से आने वाले किसान नेता लोगों को संबोधित करते हैं। इसी फ्लाईओवर के नीचे किसानों ने अपने रुकने का इंतजाम कर रखा है। कुछ किसान सड़क किनारे खड़े ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और उनके नीचे भी सोते हैं। बिजनौर के नजीबाबाद से आए बुजुर्ग किसान भाग सिंह (65) ने बताया कि पिछले आठ-नौ दिन से वह यहां पर डटे हुए हैं। दिन तो गुजर जाता है, लेकिन पुल के नीचे रात बिताना बेहद मुश्किल होता है। जरा भी हवा सीधे लगती है। भाग सिंह ने सड़क पर गद्दे लगाकर उस पर अपना बिस्तर लगा रखा है। इसी तरह कनकपुर, नजीबाबाद, बिजनौर से आए किसान लक्खा सिंह (70) ने बताया कि पूरी रात वह अपने लोगों के साथ अलाव तापते हैं और दिन में नींद पूरी करते हैं। शामली के किसान अवतार सिंह का कहना था कि देर रात तक चाय बनती रहती है और अलाव भी रहता है। ऐसे में रात कब बीतती है, पता ही नहीं चलता। ठंड बढ़ने से उनका हौसला भी बढ़ेगा। सरकार को किसानों की बात माननी ही होगी या किसानों से दो-दो हाथ करने पड़ेंगे।
गाजियाबाद के किसान भूप सिंह ने बताया कि उन्होंने आसपास के गांवों से गाजीपुर में अलाव के लिए लकड़ी व उपले पहुंचाने के लिए कह दिया है। कुछ किसान लकड़ी लेकर आ भी आए हैं। रात को सोने के लिए रजाई व गद्दों का इंतजाम भी किया जा रहा है। बाकी 24 घंटे यहां लंगर की व्यवस्था भी रहती है। ऐसे में हर हाल में उनका आंदोलन जारी रहेगा।
हालाँकि चिल्ला बॉर्डर पर बारिश का कोई असर नजर नहीं आया। मौसम में हुए बदलाव के बाद भी वे अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं। भारतीय किसान यूनियन (भानु) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर दुष्यंत सिंह ने बताया कि शनिवार सुबह बारिश आने के बाद किसान टेंट में आ गए। कुछ किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली में लगे तिरपाल में चले गए तो कुछ ने ट्रॉली के नीचे तिरपाल लगाकर उसे अपना आशियाना बना लिया। मौसम बदलने की वजह से कुछ किसानों को सर्दी-खांसी हुई तो उनका उपचार करा दिया गया। दवाई लेने के बाद वह फिर से बॉर्डर पर डट गए हैं।
किसानों का कहना है कि ठंड से बचने के उपाय भी किए जा रहे हैं। कंबल, गद्दे और तिरपाल की व्यवस्था की गई है, ताकि किसी भी किसान को दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े। मौसम खराब होने के बावजूद शनिवार को दूर-दूर से किसान चिल्ला बॉर्डर पहुंच रहे हैं और यहां मौजूद किसानों को अपना समर्थन दे रहे हैं। शनिवार को प्रदर्शन में यूनियन के हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष केशव भाईजी, प्रमुख महासचिव संजय राघव, प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद पंवार मौजूद रहे। किसानों ने बैठक कर आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया।
शनिवार तड़के हुई बारिश के कारण आंदोलनकारी किसानों की मुश्किलें बढ़ गई। सर्द रातों से खुद को बचाने के लिए बुजुर्ग किसानों ने अलाव जलाना शुरू कर दिया है तो ट्रैक्टरों पर कंबल से अपनी हिफाजत कर रहे हैं। बारिश के कारण, किसानों को इस बात की भी चिंता सताने लगी है कि लंगर के लिए राशन को कहां रखें। एक किसान ने बताया कि तड़के तीन बजे के बाद हल्की बारिश शुरू हो गई। इसके बाद किसानों ने खुद को बचाने के बजाय दो कंबल ले लिए। कुछ किसानों ने अलाव जलाया, लेकिन बारिश से खाना बनाने के लिए रखे गए राशन को खराब होने से बचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। भाकियू, दिल्ली के प्रधान वीरेन्द्र डागर ने कहा कि बारिश से ढांसा बॉर्डर पर भी किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ा। ठंड बढ़ने के साथ-साथ जलाने के लिए रखी गई लकड़ियों के गीला होने से भी परेशानी बढ़ गई।
आपको बताते चले कि बारिश से बचने के लिए किसानों ने तिरपाल का इंतजाम करना पड़ा। बूंदे पड़ने के बाद आशियाना बनी ट्रॉली को तिरपाल की 2 से 3 परत के साथ ढक दिया गया। वहीं, सड़क पर ही बनी हुई रसोई को भी बारिश और औंस से बचाने के लिए अतिरिक्त तिरपाल से ढका गया। किसानों ने बताया कि इसके लिए पंजाब से ही व्यवस्था करके चले थे। ऐसे में हर मुश्किल से निपटने के लिए किसान वर्ग तैयार हैं। दूसरी तरफ ठंड से बचने के लिए पराली का बिस्तर बना दिया है। किसानों ने अपनी ट्रॉलियों में गद्दों के नीचे पराली को बिछाया है, जिससे रात के समय अधिक ठंड से बचा जा सके। किसानों ने बताया कि अक्सर सरकार पराली जलाने का आरोप लगाती है,लेकिन कुछ किसान ऐसे हैं जो पराली जलाने के बजाय उसका उपयोग करते हैं। यही वजह है कि इस बार किसान अपने साथ पराली लेकर भी यहां पहुंचे हैं, जो ठंड में उनका सहारा बन रही है।