अहमदनगर(व्हीएसआरएस न्यूज) अहमदनगर-खरतवाड़ी पिंपलगाँव पीसा से पिंपरी चिंचवड शहर के सामाजिक कार्यकर्ता और किसान नेता मारुति भापकर ने हुंकार भरी है कि दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन पर दरियादिली दिखाते हुए अब तो मोदी सरकार तीनों कृषि कानून बिल को वापस लें। दिल्ली में किसानों का आंदोलन किसानों और श्रमिकों के अस्तित्व की लड़ाई है! किसानों और मजदूरों को एकता के सहारे मोदी सरकार पर प्रहार करना चाहिए! मारुति भापकर ने कहा कि मोदी सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान तानाशाही तरीके से तीन किसान विरोधी कानून पारित किए। श्रमिकों के खिलाफ चार कानून पारित किए। मोदी सरकार एक नया अन्यायपूर्ण बिजली बिल पास करने की कोशिश कर रही है। इन कानूनों को पारित किया गया और वही मोदी सरकार मुट्ठी भर पूंजीपतियों के फायदे के लिए किसानों और श्रमिकों की बलि देकर इन उद्योगपतियों को खुश करने की कोशिश कर रही है। इन तीनों काले कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए और किसानों की कृषि उपज को न्यूनतम गारंटी देने के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए।
पंजाब के वीर किसानों ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करने की मांग करते हुए छह महीने पहले पंजाब में आंदोलन शुरू किया। देश भर के किसान सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं और संघर्ष कर रहे हैं महाराष्ट्र के किसानों द्वारा उनका समर्थन किया जाना चाहिए,खरतवाड़ी पिंपलगाँव पीसा में बोलते हुए किसान नेता मारुति भापकर से अपील की। भपकर ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 400 से अधिक अभियान रैलियों में सार्वजनिक रूप से स्वामीनाथन आयोग के 50 प्रतिशत लाभ को कुल उत्पादन लागत पर लागू करने का वादा किया था। इसके बजाय तीन विरोधी किसान कृषि कानून पारित किए गए पंजाब के एक किसान ने काले कृषि अधिनियम को निरस्त करने और कृषि वस्तुओं के लिए एक गारंटीकृत मूल्य के लिए धक्का देने के लिए 26 नवंबर को दिल्ली की सीमा पर हमला किया। उस समय इन किसानों को रोकने के लिए हरियाणा की भाजपा सरकार ने बहुत ही अमानवीय तरीके से कड़ाके की ठंड में, किसानों पर लाठीचार्ज किया और गोलीबारी की। वाटरकैन ने किसानों पर ठंडा पानी की वर्षा की गई। सड़क पर एक बड़ी खाई खोदकर,लोहे के कील गाडकर किसानों को रोकने की कोशिश की। आज तक 300 से अधिक किसानों ने इस लड़ाई में अपना बलिदान दिया है। केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों की हत्या की है।
किसानों को रोकने के लिए मोदी सरकार ने चीन और पाकिस्तान की सीमा जैसे दिल्ली की सड़कों पर कील और कांटेदार तारों की बाड़ लगाकर किसानों को रोकने की कोशिश की है। उन्होंने आंदोलनकारी किसानों को खालिस्तानी,आतंकवादियों,अलगाववादियों,नक्सलवादी कहकर अपमानित किया। सरकार ने फर्जी किसान नेताओं को आंदोलन स्थल पर लाकर आंदोलन को तोड़ने की कोशिश की है। लेकिन सरकार किसानों की एकता को नहीं तोड़ सकी। यह किसान आंदोलन की सफलता है। हम तीन किसान विरोधी कृषि कानूनों और चार मजदूर विरोधी कानूनों की होली जला रहे हैं। अगर केंद्र सरकार किसानों की मांगों को नहीं मानती है, तो छत्रपति शिवाजी के महाराष्ट्र फुले,शाहू,अम्बेडकर,अन्नाभाऊ के महाराष्ट्र संत नामदेव,संत ज्ञानेश्वर,संत तुकाराम,संत एकनाथ,संत बालूमा के लाखों भक्त किसान दिल्ली कुच करेंगे। चलो दिल्ली के नारे के साथ दिल्ली की ओर मार्च करेंगे। उस समय शिवराया की दिल्ली जाने की शक्ति निश्चित रूप से महाराष्ट्र में है। हालांकि,केंद्र में मोदी सरकार को किसान विरोधी और श्रम विरोधी कानूनों को तुरंत रद्द करना चाहिए और किसानों के कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम गारंटी मूल्य प्रदान करने के लिए कानून बनाना चाहिए। स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया जाना चाहिए और पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी को रोककर मुद्रास्फीति को नियंत्रण में लाया जाना चाहिए, अन्यथा किसान भविष्य में अपने संघर्ष को तेज करेंगे और केंद्र की अहंकारी मोदी सरकार और भाजपा के अहंकार को उखाड फेंकेंगे। हर चुनाव में भाजपा को भारी कीमत चुकानी पडेगी।