पटना| व्हीएसआरएस न्यूज: बिहार के नगर निकायों में ‘समूह ग’ के कर्मचारियों का अपना कैडर होगा। फिलहाल इनका दायरा निकाय के क्षेत्र तक सीमित है। राज्य स्तरीय कैडर बनने के बाद इनका तबादला एक निकाय से दूसरे निकाय में हो सकेगा। इसके अलावा सशक्त स्थायी समिति से सरकारी अधिकारियों को दो-तिहाई बहुमत से हटाने का अधिकार भी छीन लिया गया है। निकायों के पार्षद अपने या परिवार के हित साधने के इरादे से टेंडर की बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे। अतिक्रमण हटाने के मामले में निकायों के अधिकार में वृद्धि की जा रही है।
नगरपालिका अधिनियम की सात धाराओं में संशोधन
ये सब बदलाव जल्द ही जमीन पर उतरेंगे। इसके लिए उप मुख्यमंत्री सह नगर विकास मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने गुरुवार को विधानसभा में बिहार नगरपालिका (संशोधन) विधेयक 2021 पेश किया। यह ध्वनिमत से पारित हो गया। इसके जरिए बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 में की कुल सात धाराओं में संशोधन किए गए हैं। विधान परिषद और राज्यपाल से मंजूरी की औपचारिकता के बाद ये संशोधन लागू हो जाएंगे।
राज्य स्तर पर होगी इन पदों के लिए बहाली
संशोधन के बाद नगर निकायों में समूह ग के पदों की बहाली एकीकृत तरीके से होगी। यानी राज्य स्तर पर मुख्य सफाई निरीक्षक, सफाई निरीक्षक और लिपिक आदि के पदों पर नियुक्ति होगी। राज्य स्तरीय कैडर बनने के साथ ही इन पदों पर कार्यरत कर्मियों का तबादला राज्य के किसी भी हिस्से में किया जा सकेगा।
अधिकारियों को नहीं हटा पाएगी समिति
फिलहाल नगर निकायों में नियुक्त सरकारी अधिकारी अब तक सशक्त स्थायी समिति के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं। एक वर्ष की सेवा के बाद नगर निकायों के पदधारक दो तिहाई बहुमत से इन्हें हटा सकते हैं। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रावधान के चलते अधिकारियों पर दबाव रहता है। नए संशोधन में इस मामले में सशक्त स्थायी समिति के अधिकार को शिथिल कर दिया गया है।]
लाभ के लिए टेंडर की बैठकों पर रोक
इस बारे मे उप मुख्यमंत्री ने बताया कि बिहार नगर निकायों के किसी टेंडर की बैठक में अपना या परिवार के किसी सदस्य के आर्थिक लाभ पहुंचाने के इरादे से कोई पार्षद शामिल नहीं होंगे। इस बैठक में अपना हित देखने वाले पार्षदों के शामिल होने से समिति का निर्णय पक्षपातपूर्ण होने की आशंका रहती है।
अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य
इस समय तक नगर निकाय तथा इसकी समितियों की बैठक में पदाधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है। इन बैठकों में मुख्य पार्षद और समिति के अन्य सदस्य निर्णय ले लेते हैं। यह नगर निकायों के हित में नहीं है। संशोधन के बाद इस तरह की बैठकों में अधिकारियों की हाजिरी अनिवार्य कर दी गई है।
20 हजार रुपये तक की वसूली
हालांकि मौजूदा कानून में नगर निकाय को अपने क्षेत्र के अतिक्रमण को हटाने के लिए जिला प्रशासन पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे काफी कठिनाई होती है। नए संशोधन के बाद स्थायी अतिक्रमण के मामले में दोष साबित होने पर 20 हजार और अस्थायी अतिक्रमण के मामले में पांच हजार रुपये तक का जुर्माना वसूलने का अधिकार नगर निकायों को मिल गया है।