सीतामढ़ी| व्हीएसआरएस न्यूज: एक बार फिर पंद्रह साल बाद नोएड के निठारी कांड की यादें ताजा हो गईं। 29 दिसंबर, 2006 को नोएडा के कोठी नंबर डी-5 के पीछे खुदाई में नर कंकाल मिले थे। वहां कई मासूमों के साथ दरिंदगी की गई और कत्ल करके जमींदोज कर दिया गया। भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा में तैनात एसएसबी 20वीं बटालियन के बसबिट्टा बीओपी के जवानों ने एक शख्स को मानव हड्डियों व खोपड़ियों के साथ गिरफ्तार किया है। उसके पास से एक बैग में 48 छोटे- छोटे मानव शरीर की हड्डियों के साथ 22 खोपड़ी व 26 पैर की हड्डियां बरामद हुई हैं। इतने तादाद में मानव अंगों की बरामदगी से सुरक्षा बल का मत्था भी ठनक गया है। सीमा के पिलर संख्या 339 के समीप ये बरामदगी हुई। एसएसबी कैंप इंचार्ज इंस्पेक्टर श्रीराम ने बरामद हड्डी के साथ नेपाली नागरिक को स्थानीय थाना पुलिस के हवाले कर दिया।
मिली जानकर अनुसार गिरफ्तार शख्स नेपाल के डुमरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत सुदामा गांव का राम सोगारथ महतो बताया गया है। पूछताछ में उसने पुलिस को जानकारी दी कि वह मानव हड्डियों की तस्करी कर नेपाल पहुंचाने की फिराक में था। ये चीजें उसने पटना महात्मा गांधी सेतु के नीचे गंगा नदी के किनारे श्मशान घाट से एकत्रित किया था। इन चीजों को काठमांडू में एक व्यापारी के हाथों बेचने वाला था। उसने बताया कि मानव हड्डियों का इस्तेमाल बांसुरी व बीन बनाने में किया जाता है तथा तांत्रिक भी उसका उपयोग करते हैं।
श्मशान घाटों पर भी विदेशी ताकतों की नजर
इस बारे में मेरजगंज थानाध्यक्ष राजदेव प्रसाद ने कहा कि एसएसबी के एसआइ प्रेम सिंह के लिखित बयान पर तस्कर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह बहुत ही गंभीर मामला है। उसका अनुसंधान एसआइ परशुराम गुप्ता को सौंपा गया है। गिरफ्तार तस्कर को शुक्रवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। थानाध्यक्ष ने बताया कि हड्डियों को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब मुजफ्फरपुर भेजा जाएगा। जांच के बाद ही उन मानव अंगों के संबंध में विस्तृत जानकारी मिलेगी।
वही तस्कर ने जैसी दलील दी है उसके हिसाब से फिलहाल तो यहीं माना जा रहा है कि हड्डियों से बनी बांसुरी की डिमांड विदेशों में ज्यादा है और वहां उसकी अच्छी कीमत भी मिलती है। मगर, 2006 की निठारी कांड को कोई कैसे भुला सकता है जिसने देश को झकझोर कर रख दिया था। यहीं कई मासूमों के साथ दरिंदगी की गई और कत्ल करके जमींदोज कर दिया गया। वह लोग आज भी सिहर जाते हैं, जिनके बच्चों के कंकाल कोठी के पीछे मिले।