पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) यह पता चला है कि कोरोना अवधि के दौरान बनाए गए कोविड केयर सेंटर,सेपरेशन रूम और जंबो कोविड केयर सेंटर पर अब तक हुए कुल खर्च के हिसाब को एक महीने के बाद भी पिंपरी चिंचवड वैद्यकीय विभाग देने में नाकाम साबित हुआ है। एक महीने पहले स्थायी समिति की बैठक में वैद्यकीय विभाग से कोविड केयर सेंटर पर किए गए खर्च की जानकारी मांगी गई थी। हालांकि वैद्यकीय विभाग ने अभी तक यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। वैद्यकीय विभाग ने जानकारी जमा करने के लिए एक और सप्ताह मांगा है। राजनीतिक नेताओं विशेष रूप से भाजपा ने निजी कोविड देखभाल केंद्रों के लिए करोड़ों अतिरिक्त बिलों को मंजूरी दी है,जिससे वैद्यकीय विभाग के लिए खर्चों का हिसाब किताब देना मुश्किल हो गया है।
मार्च 2020 में पिंपरी-चिंचवड़ में कोरोना वायरस के फैलने का पता चला। कुछ ही दिनों में रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। स्पर्शोन्मुख रोगियों,हल्के लक्षणों वाले रोगियों,गंभीर रूप से बीमार रोगियों,उच्च जोखिम वाले संपर्क वाले नागरिकों के उपचार के लिए नगरपालिका अस्पतालों के साथ-साथ निजी कोरोना केयर सेंटरों की स्थापना। इनमें से 23 कोरोना केयर सेंटर निजी तौर पर शुरू किए गए थे। इसलिए राज्य सरकार,पीएमआरडीए,पुणे पालिका और पिंपरी-चिंचवड़ पालिका ने संयुक्त रूप से अन्नासाहेब मगर स्टेडियम में एक हजार बेड का जंबो कोरोना केयर सेंटर स्थापित किया है। इन सभी कोरोना केयर सेंटरों पर पालिका द्धारा किए गए कुल खर्च की जानकारी चार सप्ताह पहले आयोजित स्थायी समिति की बैठक में मांगी गई थी। चिकित्सा विभाग ने कहा कि विवरण अगले सप्ताह जारी किया जाएगा। इसके बाद स्थायी समिति की तीन बैठकें हुईं। हालांकि वैद्यकीय विभाग समय बर्बाद कर रहा है और उसने कोई जानकारी नहीं दी है। इसलिए मंगलवार को हुई बैठक में वैद्यकीय विभाग से इस खर्च के बारे में फिर से पूछा गया। उस समय हम अगली बैठक में सभी खर्चों का विवरण पेश करेंगे ऐसा वैद्यकीय विभाग ने कहा। कोविड केयर सेंटर में खर्च की गई धनराशि का हिसाब देने के लिए इतना लंबा समय क्यों लग रहा है? हिसाब करने में मुश्किलें क्या हैं? क्या खर्च रकम न बताने की राजनीतिक दबाव है? इस तरह के कई सवाल उठाए जा रहे हैं।
राजनीतिक नेताओं के अरबों के बिल
कुछ राजनीतिक नेताओं ने कोरोना केयर सेंटर के माध्यम से अपने खजाने को भरने की कोशिश की है। राजनीतिक नेता और पदाधिकारी करोड़ों के वृद्धिशील बिल जमा करके उसे मंजूर कराने की योजना बना रहे हैं। चर्चा है कि इसमें वैद्यकीय विभाग के कुछ लोग उनके साथ शामिल होकर लूट घसोट और लीपापोती कर रहे है। पालिका वैद्यकीय विभाग को बिलों का तालमेल बैठाने में पसीने छूट रहे है। खर्च का हिसाब देने में विलंब और तारिख पे तारिख मांगने के पीछे वैद्यकीय विभाग की मंशा साफ नहीं है और अब तो दाल में कुछ काला लग रहा है।
1) कुल मरीज: 99245
2) ठीक हुए मरीज: 95951
3) शहर की सीमा के भीतर कुल मौतें : 1790
4) शहर की सीमा के बाहर कुल मौतें : 750